-इंसेफेलाइटिस वार्ड के बाहर बैठ अपनों के ठीक होने की कर रहे दुआ

-बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बेहतर इलाज की दे रहे दुहाई

GORAKHPUR: जहां एक तरफ आंकड़े जारी कर सरकार इंसेफलाइटिस से होने वाली मौतों को कम होने का दावा कर रही है, वहीं आज भी इंसेफलाइटिस वार्ड में इलाज के लिए भर्ती मासूमों के परिजनों के चेहरे पर खौफ साफ झलक रहा है। हर कोई अपने लाडले के लिए दुआ करता नजर आता है। शनिवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के रियल्टी चेक में तीमारदारों ने अपने दर्द बयां किए। इसमें कुछ ऐसे लोग भी दिखे, जो बेहतर इलाज पाकर खुश होकर लौट रहे थे। तो कुछ कर्मचारियों की बेरूखी से दुखी भी मिले।

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम शनिवार दोपहर करीब 12.30 बजे बीआरडी मेडिकल कॉलेज के 100 बेड वाले इंसेफेलाइटिस वार्ड पहुंची। वेटिंग हॉल में कई तीमारदार बाहर बैठे थे। जब उनसे इसके बारे में बात की गई तो कहा कि पिछले दो हफ्ते से यहां अपने बच्चे का इलाज करा रहा हूं। जांच में एईएस की पुष्टि हुई है। इस समय मरीज की हालत ठीक है। अंदर केवल मरीज के साथ एक मेंबर के जाने की इंट्री है, बाकी पर रोक लगा है।

दवा काउंटर बंद, जाना पड़ा है ड्रग स्टोर

इंसेफेलाइटिस मरीजों की दवा के लिए 100 नंबर बेड वाले वार्ड में दवा काउंटर खोला गया था। जहां आसानी से तीमारदारों को सभी दवाएं मिल जाती थी, लेकिन पिछले महीने से दवा काउंटर बंद कर दिया गया। काउंटर बंद होने के बाद तीमारदारों को दवा के लिए ड्रग स्टोर का चक्कर लगाना पड़ता है। तीमारदारों को दवा के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है।

केस 1

कुशीनगर के इमामुद्दीन की 16 वर्षीय बेटी शबाना को तेज बुखार के साथ झटके आ रहे थे। उसे कुशीनगर के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उसकी हालत खराब हो गई। जांच में इंसेफेलाइटिस की पुष्टि हुई। इसके बाद डॉक्टर्स ने उसे मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया। एएलएस एंबुलेंस सेवा से उसे मेडिकल कॉलेज लाया गया। जहां से तीमारादार उसे अपने गोद में उठाकर 100 बेड वाले इंसेफेलाइटिस वार्ड में भर्ती कराया। जहां उसका इलाज चल रहा है

केस 2

चौरीचौरा निवासी रमेश के बेटे की तबियत खराब हो गई। उसने एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया। संचालक ने दो दिन भर्ती कराने के बाद 14 हजार रुपए का बिल बना दिया। फिर बच्चे की हालत गंभीर बताते हुए मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया। जहां आईसीयू में बच्चे की इलाज चल रहा है। इलाज के बाद बच्चे की हालत ठीक हैं और वह बोल रहा है।

पिछले वषरें में मरीज व मौत के आंकड़ें

वर्ष मरीज मौत

19 सितंबर 2018 290 19 (इस वर्ष तक डेथ ऑडिट में पुष्टि)

19 सितंबर 2017 511 64

19 सितंबर 2016 370 72

19 सितंबर 2015 307 46

19 सितंबर 2014 412 08

वर्जन

दस्तक अभियान की वजह से इंसेफेलाइटिस के केस काफी कम हुए हैं। साथ ही मौतों के आंकड़ों में भी गिरावट आई है। डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ मरीजों की बेहतर इलाज कर रहे हैं। संसाधनों की कमी नहीं है। जहां पहले तीमारदारों को दवा के लिए लाइन लगानी पड़ती थी। अब सभी दवाएं स्टोर में उपलब्ध है। इंडेंट के जरिए वार्ड में दवाएं भेज दी जाती है। यहां से सभी मरीजों को दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। जहां तक मरीजों के ठहरने की बात है तो रैनबसेरा हैंडओवर हो गया है। जल्द तीमारदारों को इसकी सुविधा मिलने लगेगी। साथ ही स्वास्थ्य विभाग की टीम इस पर नजर रखे हैँ। इसके चलते केस भी कम हुए हैं।

डॉ। आरएस शुक्ला, सीएमएस नेहरू चिकित्सालय बीआरडी मेडिकल कॉलेज