- दैनिक जागरण आई नेक्स्ट में क्लैट का मामला उजागर होने पर छात्रों ने भी शुरू किया मुहिम

- सोशल प्लेटफार्म से लेकर सीएनएलयू तक क्लैट में गड़बड़ी का मामला उठेगा

PATNA : देश भर के क्8 नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में दाखिला के लिए आयोजित क्लैट- ख्0क्7 की परीक्षा में व्यापक बडे़ स्तर की गड़बडियों के बारे में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने खुलासा किया है। इस खबर के प्रकाशित होने के बाद से अब इस क्लैट परीक्षा में शामिल हुए अभ्यर्थियों ने विरोध का स्वर तेज कर दिया है। जानकारी हो कि आरटीआई के माध्यम से क्लैट परीक्षा के आयोजक सीएनएलयू, पटना से क्फ् सवाल पूछे थे, जिसमें इस परीक्षा में आयोजन का जिम्मा जिस कंपनी को दिया गया, वह अयोग्य साबित हुई।

सोशल मीडिया पर हुई वायरल

फेसबुक, व्हॉट्स अप आदि सोशल प्लेटफार्म पर क्लैट परीक्षा की गड़बडि़यों को लेकर खूब चर्चा और विरोध हो रहा है। इसमें वे सभी क्लैट अभ्यर्थी शामिल हैं जिनका रिजल्ट प्रकाशित होने के बाद यह सामने आया कि इसमें लगातार बदलाव हो रहा है। यह गड़बडी एक अनुभवहीन कंपनी को क्लैट परीक्षा के संचालन का जिम्मा दिये जाने के बाद ही उत्पन्न हुई है। उधर, सोशल वर्कर दिव्यांशु शेखर ने एक क्लैट स्कैम ख्0क्7 नाम से पेज तैयार किया है। इससे सैंकड़ों कमेंट्स मिल रहे हैं और हजारों लाइक भी मिल रहे हैं।

सवाल जो कायम हैं

सोशल वर्कर दिव्यांशु शेखर ने इस पूरे मामले को लेकर विरोध में स्वर तेज कर दिया है। उन्होंने सरकार से इस गंभीर गड़बड़ी को लेकर मांग रखा है। ये मांगे हैं- क्लैट ख्0क्7 की परीक्षा में चूंकि शुरूआत से लेकर रिजल्ट प्रकाशित होने तक भारी गड़बडि़यों सामने आयी। ऐसे में यह परीक्षा तत्काल प्रभाव से निरस्त करना चाहिए। यह भी बताएं कि आखिर एनआरआई स्पांशर्ड सीट तय संख्या से ज्यादा कैसे हो गई। मेरिट लिस्ट में बार- बार बदलाव क्यों आया। अभ्यर्थियों की मेरिट रैंक में कैसे बदलाव हो गया। चूंकि यह राष्ट्रीय स्तर पर एक व्यापक धांधली है, ऐसे में क्लैट ख्0क्7 के आयोजन की नए सिरे से सीबीआई, सीवीसी या अन्य निष्पक्ष जांच एजेंसी से जांच जरूर करायी जाए।

सीएनएलयू के समक्ष आज जुटेंगे पीडि़त अभ्यर्थी

देश भर से इस परीक्षा में शामिल पीडि़त अभ्यर्थियों का समूह दिव्यांशु शेखर के नेतृत्व में सीएनएलयू, पटना कैंपस के समक्ष प्रदर्शन करेगा। इसमें छात्र मांग करेंगें कि यह परीक्षा बिना किसी फीस के दोबारा से करायी जाए। ताकि हजारों की संख्या में पीडि़त अभ्यर्थियों को न्याय मिल सके।