- कर्नल को फंसाने वाले एडीएम को राहत नहीं, एसोसिएशन मुखर

- एडीएम ने पीसीएस एसोसिएशन को भेजी बेगुनाही की सीसीटीवी फुटेज

- नोएडा में शनिवार को भी समझौते की कोशिशें रही बेअसर

LUCKNOW:

नोएडा में रिटायर्ड कर्नल को झूठे केस में फंसाकर जेल भेजने के मामले के आरोपी एडीएम हरीश चंद्र की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही। एडीएम के समर्थन में यूपी पीसीएस एसोसिएशन के खुलकर सामने आने के बाद भी उन्हें कोई राहत नहीं मिल सकी है। रिटायर्ड कर्नल इस मामले में पक्षपात करने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं जबकि पूरा सरकारी अमला इस मामले को सुलझाने की कवायद में जुटा हुआ है। फिलहाल एडीएम के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमे के बाद एक बार फिर पीसीएस एसोसिएशन मुखर हो गयी है। एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस प्रकरण की शिकायत करने का फैसला लिया है और इस बाबत उनसे मिलने के लिए समय मांगा है।

पत्नी ने भी लगाए आरोप

इस मामले में खुद को निर्दोष साबित करने के लिए एडीएम ने पीसीएस एसोसिएशन को कई सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराए हैं, जिसमें एडीएम के परिजनों और रिटायर्ड कर्नल के बीच मारपीट के दृश्य हैं। साथ ही एडीएम की पत्नी ने आरोप लगाया है कि वह नोएडा में अपने बच्चों के साथ अकेले रहती हैं और रिटायर्ड कर्नल उनपर बुरी नजर रखते थे। वे चार सालों से मुझे प्रताडि़त कर रहे थे। इसकी शिकायत मैंने अपने पति से भी की थी जिसके बाद उन्होंने रिटायर्ड कर्नल को समझाने का प्रयास भी किया था। रिटायर्ड कर्नल ने मेरे पूरे परिवार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया है जिसकी वजह से मुझे छिपकर रहना पड़ रहा है। ध्यान रहे कि ये वीडियो सामने आने के बाद ही पीसीएस एसोसिएशन ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस मामले की न्यायिक जांच की मांग की थी। साथ ही नोएडा के डीएम और एसएसपी की भूमिका पर सवाल उठाए थे। एसोसिएशन के पदाधिकारियों के मुताबिक जिस तरह एडीएम और उनके परिजनों पर आईपीसी की धारा 307 और 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है, वह सरासर गलत है।

पहले भी सामने आया था विवाद

ध्यान रहे कि इससे पहले राजधानी में एडीएम के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने का पीसीएस एसोसिएशन ने खुलकर विरोध किया था और पूरे प्रदेश में हड़ताल करने की चेतावनी भी दी थी। इसके अलावा मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को दिए ज्ञापन में बिना शासन की अनुमति के पीसीएस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज न किए जाने का शासनादेश जारी करने की मांग भी की थी हालांकि राज्य सरकार ने इस बाबत कोई आदेश जारी नहीं किया था। हालिया प्रकरण ने पीसीएस अधिकारियों का आक्रोश बढ़ा दिया है और एसोसिएशन द्वारा इस बाबत कोई अहम निर्णय लिये जाने की संभावना जताई जा रही है।