पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी से पटनाइट्स का बिगड़ा बजट

PATNA : पटना में पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान छूने लगी है। पेट्रोलियम पदार्थो की बढ़ती कीमतों ने हर वर्ग के लोग परेशान कर रखा है। महंगे पेट्रोल और डीजल की कीमत से लोगों की जेब ढीली हो रही है। लोगों का बजट बिगड़ गया है। इस वजह से लोगों ने अपनी आदत में ही बदलाव कर लिया है। लोगों बड़ी गाड़ी की बजाय छोटी और ज्यादा माइलेज देने वाली गाडि़यों का इस्तेमाल करने लगे हैं।

सभी का बिगड़ रहा बजट

पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने की वजह से पटना के सभी वर्गों के लोगों का बजट बिगड़ने लगा है। हाई क्लास के लोग भी अब परेशान होने लगे हैं। जो व्यक्ति पहले पेट्रोल के मद में होने वाले खर्च की चिंता नहीं करते थे, वे अब इस मद में कटौती करने लगे हैं। बड़ी और लग्जरी गाडि़यों से चलने वाले छोटी और ज्यादा माइलेज देने वाली गाडि़यों को तरजीह देने लगे हैं। वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष और शहर की जानी मानी हस्तियों में शुमार सईद सलमान हुसैन का भी बजट पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से बिगड़ गया है।

गैराज में बंद हो गई लैंड रोवर

पेट्रोल की बढ़ रही कीमतों की वजह अब वे लैंड रोवर की जगह छोटी गाडि़यों से चल रहे हैं।

बड़ी छोड़ चलाने लगे छोटी गाड़ी

पेट्रोल की कीमत में हो रही रोजाना वृद्धि ने लोगों की आदत बदल दी है। जहां लोग बड़ी-बड़ी गाडि़यों से चलते थे आज वे वापस छोटी और ज्यादा माइलेज देने वाली गाडि़यों से चलने लगे हैं। रियल इस्टेट से जुड़े श्री ओम साई ग्रुप के सीएमडी ए के अरुण ने बताया कि लगातार पेट्रोल की कीमत में बढ़ोतरी होने से आज बजट गड़बड़ा गया है। पहले महीने में लगाग 8500 से 9000 रुपए पेट्रोल पर खर्च करना पड़ता था जो बढ़कर अब 13 से 14 हजार तेल का बजट हो गया है। उन्होंने बताया कि इसी तरह पेट्रोल और डीजल की कीमत बेकाबू होने लगी तो लोग और परेशान हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि अब प्राथमिकता के आधार पर गाडि़यों का इस्तेमाल कर रहा हूं। पहले कीमत कंट्रोल में थी तो छोटे मोटे काम के लिए भी बड़ी गाड़ी का इस्तेमाल करता था, अब तो सोचना पड़ रहा है।

डेढ़ गुना बढ़ा खर्च

पहले महीने में साढ़े आठ हजार से नौ हजार रुपए पेट्रोल पर खर्च करना पड़ता था अब 13 से 14 हजार रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।

शेयरिंग से मिला सहारा

पेट्रोल की कीमत लगी आग से मध्यम और कामकाजी ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। कामकाजी लोग दफ्तर जाने के लिए पहले जहां अपनी-अपनी बाइक या स्कूटी का इस्तेमाल करते थे, वे आज सहकर्मी के साथ बाइक की शेयरिंग करने लगे हैं। शहर के बोरिंग रोड में रेवल स्पोकन इंग्लिश इंस्टीट्यूट चलाने वाले कुमार कन्हैया और फैकल्टी निशा कुमारी आज शेयरिंग से आते जाते हैं। कन्हैया इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर हैं और निशा वहां फैकल्टी हैं। कुमार कन्हैया पहले अपनी बाइक से इंस्टीट्यूट आते-आते जाते थे। वहीं, निशा अपनी स्कूटी से आती-जाती थीं। निशा ने बताया कि पेट्रोल की कीमतों ने मध्यम क्लास का बजट बिगाड़कर रख दिया है। घर से इंस्टीटयूट ज्यादा दूर है। समय से काम पर पहुंचने के लिए स्कूटी की एकमात्र सहारा थी। शहर में सार्वजनिक वाहनों की व्यवस्था सही नहीं है। इस वजह से शेयरिंग कर इंस्टीटयूट जाती हूं। स्कूटी से जाती हूं तो घर का बजट गड़बड़ा जाता है। कीमतें बढ़ती रहीं तो आम आदमी का अपने वाहन से आना-जाना मुश्किल हो जाएगा।

दोगुना बढ़ गया खर्च

पहले महीने में 1200 से 1500 रुपए पेट्रोल पर खर्च होते थे अब 2500 से 3000 रुपए खर्च होने लगे।