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-सावन के एक महीने से पहले से पैदल चलने की प्रैक्टिस करने लगते हैं कांवरिए

-कांवरियों के जत्थे से भक्तिमय हुआ प्रयागराज-बनारस रूट

dhruva.shankar@inext.co.in

PRAYAGRAJ: भगवान शिव की आराधना के सबसे पवित्र माह सावन का बुधवार से शुभारंभ हो गया। इसके साथ ही प्रयागराज से काशी विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक करने जा रहे कांवरियों से प्रयागराज-वाराणसी रूट भक्तिमय हो उठा है। खास बात यह है कि भोले की भक्ति में कांवरियों ने एक महीने पहले से अपनी लाइफस्टाइल बदल ली है।

पांच किमी प्रैक्टिस, पुल पर पैदल दौड़

दारागंज स्थित दशाश्वमेध घाट पर जिले के नवाबगंज, कोरांव व फाफामऊ आदि जगहों से बड़ी तादाद में भोले के भक्त पहुंचते हैं। प्रयागराज से नंगे पांव सवा सौ किमी की कांवर यात्रा करके यह लोग वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में जल चढ़ाने जाते हैं। शिवनगरी की इस यात्रा में कोई बाधा न आए, इसके लिए भक्तगण महीनों से प्रैक्टिस शुरू कर देते हैं। इंटर में पढ़ने वाले फाफामऊ निवासी शुभम सिंह एक जुलाई से अपने घर से फाफामऊ पुल का चार चक्कर पैदल लगाने की प्रैक्टिस करते थे। वहीं आकाश कुमार और दिलीप तिवारी अपने गांव में ही रोजाना सात से आठ किमी पैदल चलते थे।

परंपराओं का पालन

घाट पर कई ऐसे भक्त मिले जो पहली बार यात्रा पर निकले हैं। इनका कहना था कि परिजनों ने कहा है कि कांधे पर कांवर रखकर, हर कदम पर बोल बम का जयकारा लगाने से यज्ञ करने जितना फल मिलता है। अमर सिंह पटेल का कहना है कि सावन माह के पहले ही दिन जल चढ़ाने का संकल्प लेकर पहली बार यात्रा पर जा रहा हूं। उन्होंने बताया कि गांव वालों ने यह जरूरी संदेश दिया है कि बिना नहाए कांवर यात्री कांवर को नहीं छूते हैं।

यह कठिन तपस्या है। एक बार जा चुका हूं, इसलिए यात्रा के दौरान नियमों का पालन करने की जानकारियां हैं। पहले दिन भोले बाबा को जल चढ़ाने की इच्छा थी इसलिए निकल पड़ा हूं।

-उदय सिंह

परिवार की सुख-समृद्धि पर बाबा की कृपा बनी रहे यह कामना लेकर लगातार तीसरी बार काशी विश्वनाथ मंदिर में जल चढ़ाने जा रहा हूं। पहली बार साथ जाने वालों को यात्रा के नियम भी बताया हूं।

भोले नाथ

पांच साल से किसी ना किसी वजह से बाबा का दर्शन नहीं कर पा रहा था। इस बार पहले से कोई तैयारी नहीं की थी। आसपास के लोग चलने लगे तो मैं भी तैयार हो गया अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए।

-विनोद कुमार

कई दिनों से नंगे पांव घर से निकलकर चलने की प्रैक्टिस कर रहा था तो परिजनों ने पूछा ऐसा क्यों कर रहे हो। जब उन्हें बताया कि कांवर लेकर जल चढ़ाने जा रहे है तब हर किसी ने आशीर्वाद दिया।

-शुभम सिंह

हमारे गांव से रोज दो-तीन लोग सावन में जल चढ़ाने काशी जाते थे। इस बार मैंने भी पहले दिन बाबा का दर्शन करने का संकल्प लिया था। सबसे पूरी जानकारी ली और अब कठिन तपस्या पर निकला हूं।

-अमर सिंह पटेल