डेंगू स्पेशलिस्ट डॉ। संजय कुमार बताते हैं कि स्वीमिंग पुल में नहाना खतरे से कम नहीं है। इसकी एक बाइट से ही एडिस का बैक्टीरिया पूरी ब्लड के प्लेटलेट्स को तोड़ देता है। ऐसा इसलिए होता है कि स्वीमिंग पुल का पानी सात दिन तो कहीं-कहीं 15 दिन पर चेंज होता है। ऐसे में एडिस के पनपने के लिए यह माकूल जगह बन जाता है। यही नहीं, एडिस मच्छर एक महीने की लाइफ ही जीता है और वह दो किलोमीटर एरिया में ही घूम-घूमकर काटता है।
दशहरा में कुछ ज्यादा ही खतरा
एनएमसी के डॉ। संजय ने बताया कि दुर्गापूजा में दस दिन तक डेंगू का खतरा सबसे अधिक रहता है। जो भी लोग बाहर से आएंगे और उसमें से एक को भी डेंगू ने अपना शिकार बनाया, तो फिर उसे काटने वाला हर मच्छर आसानी से इफेक्टेड हो जाएगा। ऐसे में इसका ख्याल रखा जाए कि जो भी आए, वो इफेक्टेड न हो और अगर हो भी तो मच्छरदानी का यूज करे। एक मच्छर सैकड़ों लोगों को डेंगू की चपेट में ले सकता है, वहीं एक व्यक्ति हजारों मच्छर को डेंगू बना दे रहे हैं। पीएमसीएच के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉ। विजय ने बताया कि दुर्गापूजा के बाद टेंपरेचर घटते ही एडिस का खतरा कम हो जाएगा। मच्छर 15-20 डिग्री के टेंपरेचर आते ही मरना शुरू कर देता है।
बांकीपुर क्लब,
गार्गी ग्रैंड
होटल पाटलिपुत्रा
जल विहार
इनका रखें ख्याल
स्वीमिंग पुल के आसपास छिड़काव करें।
पानी को कम से कम तीन दिन पर चेंज करें।
जहां भी ड्रेस चेंज होता है, वहां जल जमाव न होने दें।
आसपास की सफाई पर पूरा ध्यान दें, ताकि कहीं से भी मच्छर पनप न पाए.
डेंगू के डंक से जूझ रहे 12 पेशेंट्स
एनएमसीएच के मेडिसिन डिपार्टमेंट में डेंगू के अब तक करीब 30 पेशेंट आ चुके हैं। अभी 12 मेल व दो फीमेल पेशेंट अपना ट्रीटमेंट करवा रहे हैं। सबसे अधिक पेशेंट कुम्हरार, छोटी व बड़ी पहाड़ी एरिया के हैं, जिनका ट्रीटमेंट डॉ। यूएस प्रसाद के वार्ड में चल रहा है। वार्ड में पेशेंट की जांच कर रहे डॉ। उमाशंकर प्रसाद ने बताया कि वार्ड के बाहर पानी की टंकी के ओवरफ्लो होने पर पानी बहता रहता है। म'छर का इतना प्रकोप है कि फैन चलने पर भी नहीं भागता। डेंगू पेशेंट को म'छरदानी के अंदर रखा गया है। बहुत कहने पर विंडो में जाल लगाया जा रहा है। डॉ। उमाशंकर प्रसाद ने बताया कि इस बार डेंगू के पेशेंट का सिंप्टम्स बदला है। यहां आए पेशेंट में 20 से 40 उम्र के मेल अधिक हैं। एडमिट पेशेंट को प्लेटलेट्स के लिए जयप्रभा ब्लड बैंक व पीएमसीएच जाना होता है।