20 से 40 लाख रुपये लेकर भर्ती करने का आरोप

फिजिकल एजुकेशन के एचओडी ने लिखा पत्र, सीबीआई जांच की मांग

ALLAHABAD: केन्द्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबाद से जुड़े कॉलेजेस में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में हुए भ्रष्टाचार के मामले सामने आते रहे हैं। इसी क्रम में फिजिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के हेड प्रोफेसर डीसी लाल ने इविवि अध्यापक संघ के अध्यक्ष समेत सभी सदस्यों को खुला पत्र लिखकर समूची भर्ती की सीबीआई जांच की मांग की है। प्रो। डीसी लाल विद्या परिषद के सदस्य, भूतपूर्व संयुक्त सचिव एवं भूतपूर्व कोषाध्यक्ष आटा भी रह चुके हैं। उन्होंने कहा है कि भर्ती में टीचर्स के बेटे, बेटी, बहु, दामाद, पत्नी, भाई, भतीजा आदि का चयन किया गया है। ऐसे ही लोग कुलपति प्रो। आरएल हांगलू का समर्थन भी कर रहे हैं। डीसी लाल का आरोप है कि भर्ती के लिए 20 से 40 लाख रुपए तक की बोली लगाई गई।

कठघरे में आक्टा का समर्थन

प्रो। डीसी लाल ने नवम्बर 2017 में एकेडमिक, फाईनेंसियल और एडमिनिस्ट्रेटिव ऑडिट के लिए इविवि पहुंची यूजीसी द्वारा गठित आईआईएससी बंगलुरू के प्रो। गौतम देशी राजू कमेटी की रिपोर्ट का समर्थन किया है, जिसमें कुलपति प्रो। आरएल हांगलू को पुअर मैनेजर (खराब प्रबंधक) करार दिया गया है। हाल ही में लीक हुई कमेटी की विस्तृत रिपोर्ट अखबारों की सुर्खियां बनी थीं। इसमें विवि की खस्ताहाल हालत पर बेबाक टिप्पणियां की गई हैं। डीसी लाल ने कमेटी की रिपोर्ट की बावत शुक्रवार को जारी आक्टा पदाधिकारियों के बयान पर हैरत जताते हुए कहा है कि इनके रिश्तेदार और परिचित भी शिक्षक भर्ती में चयनित किए गए हैं। आक्टा ने कुलपति के समर्थन में उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट को एकपक्षीय बताते हुए आश्चर्यजनक बताया है।

भर्तियों में घोटाला ही मकसद

प्रो। डीसी लाल का कहना है कि भर्तियों में आरक्षण की धज्जियां उड़ाई गई। चयन से पहले सोशल मीडिया पर जिनके चयन की जानकारी दी गई। आपराधिक पृष्ठभूमि के लोग भी असिस्टेंट प्रोफेसर बन गए। आरक्षण की बावत अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद विनोद सोनकर के पत्र को भी धता बताकर भर्तियां की गई। उन्होंने कुलपति के विकास कार्यो को झूठ का पुलिंदा करार देते हुए कहा है कि वर्तमान में विवि का मकसद केवल और केवल भर्तियों में घोटाले को अंजाम देना है।

रजिस्ट्रार की घेराबंदी भी साजिश

प्रो। लाल ने कहा कि भविष्य में बड़ी तादात में कर्मचारियों के खाली पदों पर भर्तियां होनी हैं। ऐसे में रजिस्ट्रार कर्नल हितेश लव को निशाना बनाकर विवि से बाहर निकालने की कोशिश हो रही है। उन्होंने विवि द्वारा न्यायालय के कई निर्णयों का अनुपालन न किए जाने पर सवाल खड़े किए हैं। कहा कि वर्तमान में विवि की एकेडमिक काउंसिल और एक्जक्यूटिव काउंसिल कुलपति का गुलाम बन चुकी है।

शिक्षक भर्ती कितनी ईमानदारी, शुचिता और संवैधानिक तरीके से की जा रही है। यह किसी से छिपा नहीं है। विवि को ऐसे लोग चला रहे हैं जिनके पास पीजी की डिग्री नहीं है और एससी की सीट पर काबिज हैं। ऐसे भी लोग हैं जिनकी नियुक्ति प्लम्बर पर हुई और बाद में प्रोफेसर बनकर मलाई खा रहे हैं। विवि में सभी भर्तियां आयोग या किसी बाहरी संस्था द्वारा होनी चाहिए।

-प्रो। डीसी लाल,

एचओडी, फिजिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट