स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार एयरलाइन का कहना था कि बोईंग 777 में पायलट के उड़ान के बीच दो बार नींद के आगोश में गया. ये घटना साल 2011 की है जब पायलट अटलांटिक महासागर के ऊपर जहाज़ को उडाए ले जा रहा था.

एयरलाइन का दावा है कि इस घटना से यात्रियों की सुरक्षा को कोई ख़तरा नहीं था क्योंकि कॉकपिट में उस वक्त पायलट अकेला नहीं था. परिवहन मंत्री गैरी ब्राउनी का कहना है,''एयरलाइन के लिए ये अच्छा नहीं है.'' मंत्री का कहना है,'' एयललाइन के लिए ये एक प्रतिष्ठा का सवाल है.'' उनका कहना था, ''आपको जनता को संतुष्ट करने के साथ-साथ ये भी सुनिश्चत करना होगा कि आपके पायलट ड्यूटी के वक्त सोए न.''

सूचना का अधिकार
न्यूज़ीलैंड की मीडिया का कहना है कि इस घटना के बारे में विस्तृत जानकारी सूचना का अधिकार के तहत मांगने पर ही मिल पाई. न्यूज़ीलैंड हेरालड ने अपने एक बयान में 'एयर न्यूज़ीलैंड' का हवाले से कहा है कि जब जहाज़ अपने तयशुदा रास्ते पर मशीनी नियंत्रण के सहारे उड़ रहा था उस वक्त दो में से एक पायलट ने दो बार करीब एक मिनट की झपकी ली और तुरंत जग गया.

हालांकि किसी भी बिंदु पर सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया गया क्योंकि डेक पर मौजूद दूसरा पायलट जगा हुआ था. दरअसल ज्यादातर एयरलाइन में ऑटोपायलट प्रणाली होती है जिसमें एक अत्याधुनिक कंप्यूटर सॉफ्टवेयर होता है, इसकी मदद से पायलट विमान पर नियंत्रण रखता है. इसका इस्तेमाल आमतौर पर विमान के एक ही ऊंचाई पर लंबी समय तक उड़ने के दौरान किया जाता है.

समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार न्यूज़ीलैंड के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण के दस्तावेज़ में इस पायलट का नाम नहीं दिया गया है और इस पायलट ने खुद ही एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें कहा गया था एक रात पहले लंदन में वे ठीक से सो नहीं पाए थे जिसकी वजह से ऐसी घटना हुई. इस पायलट के खिलाफ़ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी क्योंकि एयरलाइन नहीं चाहती कि वो पायलटों को ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट करने से हतोत्साहित करे.

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