8 अक्टूबर: सोमवार को पितरों का विसर्जन होगा। इस दिन प्रातः 10:47 पर अमावस्या लग रही है जो मंगलवार 9 अक्टूबर को प्रातः 9:10 तक रहेगी। चूँकि श्राद्ध-काल दिन में 11 बजे से 2 बजे के मध्य होता है, अतः पितरों के विसर्जन हेतु पिण्डदान कर्म सोमवार को ही मान्य होगा। मंगलवार को मातामह (नाना-पक्ष) के श्राद्ध का विधान है।          

10 अक्टूबर: नवरात्रि का प्रारम्भ बुधवार से मान्य होगा, प्रतिपदा इस दिन प्रातः 7:56 तक ही है। अतः प्रतिपदा में कलश-स्थापन प्रातः 7:56 तक करना उचित है, किंतु यदि यह सम्भव न हो सके तो दिन में 11:37 से 12:23 के मध्य अभिजीत योग में भी कलश-स्थापन का शुभ मुहूर्त है।

18 अक्टूबर: नवरात्रि की पूर्ण आहुति, गुरुवार को दिन में 2:32 तक नवमी तिथि के अंतर्गत कर लेना शुभ है।         

19 अक्टूबर: शुक्रवार को दुर्गा-प्रतिमा-विसर्जन तथा दशहरा का पर्व।

24 अक्टूबर: बुधवार को शरद पूर्णिमा का अमृत पर्व होगा, इसी पर्व पर रात्रि में चन्द्रमा से अमृत की वर्षा होती है। इस पर्व पर लक्ष्मी तथा कुबेर का पूजन किया जाता है। शास्त्रों में इसका एक नाम कोजागरी पूर्णिमा भी है। इस दिन पवित्र नदी-सरोवर में स्नान, दान एवं व्रत करते हुए कार्तिक माह में ब्राह्म-स्नान का प्रारम्भ भी होता है।

— ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट

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