- प्लेटफार्म टिकट का दाम बढ़ा, लेकिन सुविधाएं नहीं बदलीं

-ट्रेनों की जारी है लेट-लतीफी, बगैर सुरक्षा दौड़ रहीं

ALLAHABAD: प्रभु जी, ख्0क्ब्-क्भ् के बाद अब ख्0क्भ्-क्म् आ गया, लेकिन न तो रेलवे सुधरा और न ही रेलवे का सिस्टम। आखिर कब होगा सुधार? कब मिलेगा ट्रेनों व स्टेशन पर क्वालिटी वाला खाना? बुधवार से रेल बजट लागू होने, प्लेटफार्म टिकट का किराया बढ़ने और अन्य नियमों के लागू होने के बाद आईनेक्स्ट ने जब पैसेंजर्स से बातचीत की तो ज्यादातर पैसेंजर्स ने कुछ इसी तरह विनती की। लेकिन उनकी यह प्रार्थना 'प्रभु' यानी भगवान से नहीं बल्कि रेल मंत्री सुरेश प्रभु से थी। जिन्होंने रेल बजट प्रस्तुत करने के दौरान बड़ी-बड़ी बातें कही थी। फाइनेंशियल ईयर के पहले दिन भी रोज की तरह ही जंक्शन पर व्यवस्थाएं दिखीं। वहीं ट्रेनों की लेटलतीफी जारी रही।

ट्रेनों में जारी रही ओवररेटिंग

एक तरफ जहां ट्रेन में पिज्जा, बर्गर के साथ ही मनपसंद फास्ट फूड व अन्य सामान सप्लाई की बात हो रही है, वहीं ट्रेनों और जंक्शन पर मिलने वाले सामानों की क्वालिटी पर पैसेंजर्स का ऐतराज आज भी जारी है। जम्मू से टाटा नगर जा रहे सुखविंदर सिंह ने कहा कि ट्रेन में मिलने वाले खाने की क्वालिटी कल भी खराब थी। आज भी खराब है। मैं तो बिस्किट खा कर रह लेता हूं, लेकिन ट्रेन का खाना नहीं खाता हूं। क्योंकि एक तो दो रुपए का सामान चार रुपए में मिलता है। वहीं क्वालिटी भी घटिया ही रहती है।

साफ-सफाई की व्यवस्था से पैसेंजर हुए परेशान

जोधपुर हावड़ा पैसेंजर के साथ ही बुंदेलखंड एक्सप्रेस के पैसेंजर्स से जब ट्रेनों की सफाई पर बात की गई तो उनका रिएक्शन देखने लायक था। पैसेंजर का कहना था कि प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान का असर देखना हो तो ट्रेन में सफर कर लीजिए, पता चल जाएगा। क्योंकि ट्रेन में सफाई व्यवस्था न के बराबर है। पूरे कोच में गंदगी फैली रहती है। वहीं टॉयलेट की भी सफाई नहीं हुई है।

सिक्योरिटी में नहीं दिखा कोई बदलाव

फ‌र्स्ट अप्रैल को भी ट्रेनों की सिक्योरिटी को लेकर कोई बदलाव नहीं दिखाई दिया। न सुरक्षा बढ़ाई गई और न ही कोई व्यवस्था लागू हुई। ट्रेनें जैसे पहले बगैर सुरक्षा के दौड़ती थीं, बगैर सुरक्षा के ही दौड़ीं। वहीं कुछ ट्रेनों में केवल खानापूर्ति के नाम-पर दो-तीन सिपाही तैनात दिखे। महिला कोच में अलग से सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं दिखी।

ज्यादातर ट्रेनें रही लेट

बुधवार से प्लेटफार्म टिकट का किराया पांच रुपये से दस रुपए हो गया। लेकिन ट्रेनों की लेट-लतीफी का सिलसिला कम नहीं हुआ। रोज की तरह बुधवार को भी ज्यादातर ट्रेनें लेट रहीं। कुछ ही ट्रेनें ऐसी थी, जो राइट टाइम जंक्शन पर पहुंची।

वर्जन

प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत अभियान भले ही चला रखा है। लेकिन ट्रेन में अभी भी अभियान का असर नहीं दिख रहा है। सुबह जब हम बुंदेलखंड एक्सप्रेस से आए तो ट्रेन में काफी गंदगी थी। टॉयलेट भी काफी गंदे थे।

बृजेश कुमार वाष्र्णेय

रेलवे में ओवर रेटिंग का खेल रेल मंत्री सुरेश प्रभु के आने से पहले चल रहा था और आने के बाद भी जारी है। पांच रुपये की चाय दस रुपए में। क्0 रुपए का बिस्किट पंद्रह रुपए में आज भी मिल रहा है।

मनमोहन चंद्र

रेलवे में सबसे बड़ी समस्या यात्री सुविधाओं की है। पैसेंजर्स को सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। चलती ट्रेन में सिक्योरिटी की बातें तो बहुत हुई थी, लेकिन आज भी चलती ट्रेन में लूट और चोरी की घटनाएं हो रही हैं। क्योंकि ट्रेनों में सुरक्षा नहीं है।

राकेश कुमार

आज हम बुंदेलखंड एक्सप्रेस से इलाहाबाद आए। रिजर्वेशन कराने के बाद भी अपनी सीट पर सिकुड़ के बैठे थे। क्योंकि स्लीपर कोच में जनरल कोच की तरह पैसेंजर भरे हुए थे। जिन्हे हटाने की हिम्मत टीटी की भी नहीं हो रही थी। लेकिन परेशानी तो हमें झेलनी पड़ी।

लालमन

यें ट्रेनें रहीं लेट

क्ख्87ब्- आनंद विहार हटिया एक्सप्रेस म्.ब्ख् घंटा

क्ख्फ्भ्0- एनडीएलएस-बीजीपी एक्सप्रेस- ख्.भ्0 घंटा

क्भ्ब्8फ्- सिक्किम महानंदा एक्सप्रेस- ब्.फ्0 घंटा

क्फ्क्फ्ख्- आनंदविहार कोलकाता एक्सप्रेस- 8.00 घंटा

क्ब्ख्क्8- ऊंचाहार एक्सप्रेस ख्.0फ् घंटा

क्ब्भ्क्ख्- नौचंदी एक्सप्रेस- फ्.00 घंटा

ख्ख्ब्ब्ख्- कानपुर-इलाहाबाद इंटरसिटी- ख्.08 घंटा

क्8क्0ख्- जम्मू तवी-टाटा मूरी एक्सप्रेस- क्.फ्0 घंटा

क्क्0भ्म्- गोदान एक्सप्रेस- क्.0भ् घंटा

क्ख्फ्97- महाबोधी एक्सप्रेस- क्.फ्0 घंटा

क्ब्फ्70- त्रिवेणी एक्सप्रेस- क्.0भ् घंटा