इन्हें हर शाम एग्जाम देना पड़ता है। फील्ड में हैं कि नहीं, बताना पड़ता है। अगर थाने में हैं, तो क्यों हैं? जी हां, शहर के 45 थानों का लोकेशन लिया जा रहा है। सिटी एसपी के आदेश पर हर शाम उन थानाध्यक्ष से 'हाल-चाल' लिया जा रहा है.  पीआईआर के थ्रू एक घंटे का लोकेशन लेकर चार्ट बनाया जा रहा है। यह काम पिछले एक वीक से चल रहा है। इस रिपोर्ट के आधार पर अब कार्रवाई भी शुरू होने वाली है। फिलहाल, दीदारगंज से दानापुर तक ऐसी व्यवस्था की गयी है.

मोबाइल-2 से जवाब दीजिए
एसपी के आदेश पर सभी थानाध्यक्षों को अपने मोबाइल-2 से ही पीआईआर को जवाब देना है। किसी दूसरे सेट या फिर थाने के स्टैटिक सेट से जवाब दिया, तो फंसने के चांसेज हैं। दरअसल, थाने का मोबाइल-2 थानेदार का होता है। अभी इस सिस्टम की मॉनिटरिंग हो रही है। पुलिस आमतौर पर शाम छह से नौ बजे तक के टाइम को क्राइम का प्राइम टाइम मानती है। इसी कारण इस समय में थानेदारों को सड़क पर पेट्रोलिंग में रहने को कहा गया है। सुबह तो बच्चों के स्कूल टाइम में ये सड़क पर रहेंगे ही। ऐसे भी अगर खुद थानेदार फील्ड में रहें, तो सभी आफिसर्स अलर्ट रहते हैं.

थाने में क्यों हैं?
थानाध्यक्षों से पीआईआर द्वार तीन बार लोकेशन लिया जाता है। अब तक आई रिपोर्ट में बेऊर और आलमगंज थाना के इंचार्ज का लोकेशन थाने आया है। इसके आलावा और भी थानेदार हैं, जो फील्ड में मौजूद नहीं रहे हैं। हांलाकि सिटी एसपी की ओर से स्पष्ट आदेश है कि थाने पर रहने वाले इंस्पेक्टर यह क्लीयर करेंगे कि किस कारण वे इस पीक टाइम में थाने पर हैं। अगर नहीं कर पाए, तो उन पर कार्रवाई होगी।