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MEERUT: आपका डीएनए डैमेज हो रहा है. इसका सीधा असर आपकी आने वाली जेनेरेशन पर पड़ने वाला है. इतना ही नहीं खतरे की ये घंटी आपकी रसोई से बज रही है. डीएनए सिस्टम पर वार करने वाला खतरनाक जहर आपकी थाली में हैं. एक-एक निवाले में जहर है. किचन के मसालों के साथ हर दिन ये आपके पेट में जा रहा है. फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट की चौंकाने वाली सैंपल टेस्ट रिपोर्ट्स नींद उड़ा रही हैं. जिस खाने को हम सेहत का राज समझते हैं, वह दबे पांव हमें मौत के समंदर में धकेल रहा है. मिर्च, हल्दी, तेल, मिठाई, दूध, खोया, डेयरी प्रॉडक्ट्स सब मिलावटी हैं. इनमें फैक्ट्रियों वाला कलर मिलाया जा रहा है. पेट में जाते ही ये जहरीले केमिकल डीएनए समेत आंत, लीवर और किडनी पर अटैक करते हैं. किचन से निकले इस जहर को डॉक्टर्स भी लाइफ किलर बता रहे हैं. ऐसे में अगर आज अलर्ट नहीं हुए तो कल कैंसर आपको और आपके अपनों को निगल सकता है.
आंकड़ों मे खतरा
खाने में मिलावट का स्तर डेंजर जोन क्रॉस कर चुका है. आंकड़े भयावह हैं. पिछले सालों की टेस्ट रिपोर्ट्स में 50 प्रतिशत से ज्यादा सैंपल्स फेल मिले हैं. अनसेफ सैंपल्स जहरीली मिलावट की कहानी खुद बयां कर रहे हैं. जबकि हर तीसरा सैंपल सब-स्टैंडर्ड निकल रहा है. तय करना पाना मुश्किल हो गया है कि क्या खाएं-क्या न खाएं. बड़े पैमाने पर चल रहे मिलावट के गोरखधंधे पर विभाग की कार्रवाई कुछ खास असर नहीं दिखा पा रही है.
मार्च 2019 से मई 2019
122 सैंपल की जांच रिपोर्ट मिली
56 सैंपल फेल मिले
11 अनसेफ मिले
37 सब-स्टैंडर्ड मिले
8 मिस्ब्रांडेड मिले
15 मई 2019
41 सैंपल की रिपोर्ट मिली
17 सैंपल फेल मिले
3 सैंपल अनसेफ मिले
14 सैंपल सब-स्टैंडर्ड मिले
4 अप्रैल 2019
36 सैंपल की रिपोर्ट मिली
17 सैंपल फेल हुए
3 सैंपल अनसेफ मिले
10 सैंपल सब-स्टैंडर्ड मिले
4 मिसब्रांडेड मिले
18 मार्च 2019
45 सैंपल की रिपोर्ट मिली
23 सैंपल पास हुए
22 सैंपल फेल मिले
5 सैंपल अनसेफ मिले
13 सब-स्टैंडर्ड मिले
4 मिसब्रांड मिले
अप्रैल 2018 से सितंबर 2018
300 सैंपल लैब में जांच के लिए भेजे गए
117 सैंपल फेल मिले
93 सैंपल सब-स्टैंडर्ड मिले
15 सैंपल अनसेफ मिले
9 सैंपल में मिसब्रांडेड
मार्च 2018 में
157 सैंपल लैब जांच के लिए भेजे गए
51 सैंपल फेल मिले
8 सैंपल अनसेफ मिले
12 सैंपल सब-स्टैंडर्ड मिले
9 सैंपल में मिसब्रांडेड मिले
8 सैंपलों में नियमों का उल्लंघन मिला
दिसंबर 2017 से फरवरी 2018
563 सैंपल जांच के लिए भेजे गए
307 सैंपल फेल मिले
52 सैंपल अनसेफ मिले
218 सैंपल सब-स्टैंडर्ड मिले
20 सैंपलों में नियमों का उल्लघंन मिला
डाई केमिकल्स की मिलावट
मिलावटखोर खाने में नॉन परमिटिड इंडस्ट्रियल कलर्स की मिलावट कर रहे हैं. ये कलर कपड़े, चमड़े समेत अलग-अलग सामान को रंगने के काम आते हैं. मिलावटखोर अब इनसे अपना खाने का धंधा चमका रहे हैं. अरारोट में मेटानिल येलो मिलाकर हल्दी तैयार कर दी जा रही है. तो बुरादा, ईंट पाउडर में रोडामाइन व एसेंस मिलाकर लाल मिर्च तैयार होती है. इन कलर्स से समान में तेज चमकदार रंग आ जाता है. जिसे लोग बढि़या क्वालिटी का समझकर आसानी से खरीद लेते हैं.
ऐसी-ऐसी मिलावट
हल्दी
मेटानिल येलो, सिंथेटिक येलो कलर, अरारोट
लाल मिर्च पाउडर
इंडस्ट्रियल कलर सूडान, 1, 2, 3, रोडामीन बी, लकड़ी का बुरादा, कीड़ों के अंश, ईंट का पाउडर
शहद
बटर येलो
काली मिर्च
पपीते के बीज
अरहर की दाल
खेसारी दाल व इंडस्ट्रियल कलर मेटानिल येलो
खड़ी हल्दी
लेड क्रोमेट
बेसन
इंडस्ट्रियल कलर मेटानिल येलो
मिठाई
वर्क में सिल्वर की जगह एल्यूमिनयम का प्रयोग
लड्डू
इंडस्ट्रियल कलर मेटानिल येलो, सिंथेटिक कलर
बंगाली मिठाई
सिंथेटिक कलर, इंडस्ट्रियल कलर मेटानिल येलो, रोडामीन-बी, सूडान, छेने की जगह अरारोट
तेल
सरसों के तेल
सिंथेटिक कलर बटर येलो, राइसब्रान, ऑर्जीमॉन, पॉम ऑयल
डेयरी प्रॉडक्ट्स
दूध, पनीर, मावा समेत डेयरी प्रॉडक्ट्स में इंडस्ट्रियल कलर टाइटेनियम डाईऑक्साइड, डिटरजेंट यूरिया, कार्बोनेट, हाईड्रोजन पराक्साइड जैसे केमिकल की मिलावट की जा रही है.
बेकरी प्रॉडक्ट्स
केक, बिस्कुट, कुकीज, जैम, जेली, नमकीन आदि में, सिंथेटिक रंग-मेलाचाइट ग्रीन, फूड कलर 220 पीपीएम से ज्यादा मात्रा, इंडस्ट्रियल कलर-मेटानिल येलो, औरामीन, रोडामाइन बी
पान मसाला
सिंथेटिक कलर, रोडेट हेयर, एसक्रीटा, इंडस्ट्रियल कलर टाइटेनियम डाईआक्साइड
कैंसर का फैल रहा जाल
खतरनाक डाई की खाने में मिलावट कैंसर बांट रही है. आंकड़े चिंताजनक हैं. कैंसर के मरीज हर साल बढ़ रहे हैं. किडनी और आंते इसकी चपेट में हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक पिछले पांच सालों में करीब 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. स्थिति ये हैं कि 5 साल के बच्चे भी अब इसकी चपेट में है. 10 प्रतिशत मरीज सिर्फ बच्चे हैं. जबकि 60-40 का रेश्यू मेल-फीमेल का है.
सेहत पर ये भी है असर
मिलावटी चीजें सेहत के लिए बहुत हानिकारक हैं. इनका सीधा प्रभाव पेट, लीवर, हार्ट पर पड़ता हैं. इसके अलावा पेटदर्द, सिरदर्द, शरीर टूटना, बुखार आना, हृदय पर प्रभाव, सांस संबंधित बीमारियां भी हो सकती है.
डीएनए हो रहा डैमेज
इंडस्ट्रियल कलर बॉडी मे सीधे डीएनए को डैमेज करते हैं. बॉडी अगर इनको जेनेटिक्ली रिपेयर नहीं कर पाती हैं तो डीएनए कमजोर हो जाता है, कैंसर सेल्स विकसित होने लगते हैं. किडनी, आंते सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं. बुजुर्ग और बच्चे तेजी से गिरफ्त में आते हैं. प्रेग्नेंट लेडीज से बच्चे में भी खतरा रहता है.
डॉ. उमंग मित्थल, कैंसर एक्सपर्ट, मेरठ कैंसर हॉस्पिटल
लीवर-किडनी खराब
इंड्रस्ट्रियल कलर लीवर, किडनी और पेट पर सीधे वार करता हैं. ये इतना खतरनाक है कि इससे कैंसर होने के चांसेज कई गुना बढ़ जाते हैं. इसके अलावा इन केमिकल्स का असर दिमाग पर भी पड़ता है. इसकी वजह से बे्रन हेमरेज का खतरा भी हो सकता है.
डॉ. विश्वजीत बैंबी, सीनियर फिजिशियन
इंडस्ट्रियल कलर्स में हैवी मेटल होते हैं जो किडनी को डैमेज करते हैं. इससे किडनी का कैंसर हो सकता है. बैंजीन कलर से यूरीनल कैंसर हो सकता है.
डॉ. संदीप गर्ग, किडनी स्पेशलिस्ट, न्यूटिमा हॉस्पिटल
ऐसे करें पहचान..
जिला विज्ञान अधिकारी दीपक शर्मा कहते हैं कि मिलावट की पहचान घर में भी की जा सकती है.
दूध की बूंद समतल परत पर डालें, तेजी से बहती है तो पानी है.
टेस्ट ट्यूब में 5 मिली दूध लें. सोयाबीन और अरहर का आटा मिलाएं. पीले से लाल रंग हो जाएं तो मिलावट है.
मेटानिल येलो
टेस्ट ट्यूब में सैंपल की 5 एमएल मात्रा लेकर कुछ बूंदे कंसंट्रेटिड हाइड्रोक्लोरिक एसिड की डालें. अगर कलर पिंक हो जाता है तो समझे मेटानिल येलो कलर की मिलावट है.
लेड क्रोमेट- 5 ग्राम सैंपल को 5 एमएल पानी के साथ लेकर एचसीएल की कुछ बूंदे डाले. कलर पिंक होता है लेड क्रोमेट की मिलावट है.
सिंथेटिक कलर- ट्रांसपेरेंट ग्लास लें, उसमें सैंपल डालें, अच्छी तरह से मिलाएं, अगर पानी में रंग आ जाएं तो मिलावट है.
कर सकते हैं शिकायत
उपभोक्ता मिलावट होने पर एफएसडीए की हेल्पलाइन नंबर 1800 180 5533 पर सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक संपर्क कर सकते हैं. इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति नमूनों की जांच करवाना चाहता है तो मेडिकल कॉलेज स्थित विभाग में सीधे शिकायत दर्ज करवा सकता है. इसके अलावा 9411471076 नंबर पर कॉल करके भी सूचना दी जा सकती है.
मिलावट और सजा
अनसेफ- इस तरह की मिलावट सेहत के लिए जानलेवा होती है. नॉन परमिटिड कलर इसी श्रेणी में आते हैं. खाने में ये मिलने पर आजीवन कारावास व 10 लाख तक का जुर्माना हो सकता है.
सब स्टैंडर्ड- तय स्टैंडर्ड से कम मात्रा होती है. ये सेहत को नुकसान करते हैं. दूध, खोए में निर्धारित फैट की कम मात्रा इस श्रेणी में आती है. इसमें 5 लाख रूपये तक का जुर्माना हो सकता है.
मिस-ब्रांडेड- मिसलीड करने वाली जानकारी, मिसलेबल्ड, दी गई जानकारी से अलग मानकों का मिलना इस श्रेणी में आता है. सजा के तौर पर 3 लाख का जुर्माना हो सकता है.
वॉयलेशन ऑफ रेग्यूलेशन
विभाग की ओर से जारी नियमों का उल्लघंन करने जैसे बिना लाइसेंस या मानकों के विपरीत बेचना. इसके तहत 2 लाख रूपये तक जुर्माने की सजा का प्रावधान है.
इंडिस्ट्रियल कलर नॉन परमिटेड हैं. इनका प्रयोग किसी भी तरह से खाने में नहीं किया जा सकता है. रोकथाम के लिए हर महीने अलग-अलग जगह चेकिंग अभियान चलाया जाता है. इसके अलावा कई जागरूकता कार्यक्रम भी चलाएं जा रहे हैं.
अर्चना धीरान, डीओ, फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट