RANCHI: पुलिस द्वारा जब्त हथियारों के दुरुपयोग को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई जस्टिस कैलाश प्रसाद देव की अदालत में हुई। सुनवाई के दौरान राज्य के गृह विभाग के प्रधान सचिव, डीजीपी और एडीजी सीआईडी सशरीर उपस्थित रहे। हाईकोर्ट के जस्टिस कैलाश प्रसाद देव की अदालत ने आर्म्स एक्ट में सजायाफ्ता की ओर से दायर क्रिमिनल अपील याचिका पर सुनवाई के दौरान मामले को गंभीरता से लिया है। कोर्ट को ऐसा प्रतीत हुआ कि पुलिस ने फर्जी तरीके से हथियार जब्त दिखाकर फंसाने का काम किया है।

थानों से जब्त हथियारों का स्टेटस मांगा

गौरतलब हो कि पुलिस द्वारा जब्त हथियारों का दुरुपयोग करने के मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य के गृह विभाग के प्रधान सचिव और पुलिस महानिदेशक को सशरीर कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया था। झारखंड हाई कोर्ट ने सभी जिलों के थाने से पूछा है कि थानों में जब्त किए गए हथियारों का स्टेटस क्या है? कोर्ट ने पूछा था कि कितने हथियार जब्त किये गए, कितने हथियारों को अब तक नष्ट किए गए हैं उनकी भी जानकारी दी जाए।

पांच नवंबर को होगी सुनवाई

हाइकोर्ट के महाधिवक्ता ने बताया कि राज्य भर में जितने भी हथियार बरामद हुए हैं उसे लेकर आ‌र्म्स ब्यूरो बनाए जाने का प्रावधान हैं। धारा 103 और धारा 104 के तहत राज्य में क्या कर्रवाई हो रही है और किस तरीके से सरकार आगे कार्रवाई करेगी इसी की चर्चा को लेकर हाइकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने गृह सचिव को तीन दिनों में प्रारंभिक रिपोर्ट देने का निर्देश देते हुए मामले का कैसे निष्पादन हो यह तय करने का निर्देश दिया है। मामले की प्रोसिडिंग के दौरान कोर्ट ने सीजर लिस्ट के अनुरूप बरामद हथियारों की जांच के लिए टीम में न्यायिक, प्रसाशनिक और पुलिस अधिकारियों को शामिल करने की बात कही है। आगामी 5 नवंबर को कोर्ट के समक्ष सरकार को ब्लू प्रिंट तैयार करने का निर्देश दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 5 नवंबर को होगी।