-शहर में कई विभागों का चल रहा है कंस्ट्रक्शन का काम

-बढ़ रहा प्रदूषण का ग्राफ , एक्शन प्लान के तहत अप्रैल 2018 में खत्म होना था कंस्ट्रक्शन का काम

आगरा। रोड किनारे उड़ते धूल के गुबार ताजनगरी की आबोहवा को जहरीली बना रहे हैं। डस्ट पार्टिकल मैटर से वायु प्रदूषण का ग्राफ बढ़ रहा है। इसके चलते सांस संबंधी दुश्वारियां बढ़ती जा रही हैं। बावजूद इसके जिम्मेदार हुक्मरानों की नींद टूटने का नाम नहीं ले रही हैं। बता दें कि इसका प्रमुख कारण शहर भर में चल रहे बिल्डिंग और रोड कंस्ट्रक्शन का काम है। हालांकि इसके लिए पहले ही एक्शन प्लान का रोडमैप तैयार कर लिया गया था, लेकिन लालफीताशाही की नाफरमानी से इसका क्रियान्वयन नहीं हो सका।

ये रोडमैप एक्शन प्लान हुआ था तैयार

वर्ष 2014 में डब्ल्यूएचओ ने आगरा समेत कई अन्य शहरों को प्रदूषित शहर बताया था। उस दौरान पीएमओ ऑफिस के निर्देश पर शहर में वायु प्रदूषण के बढ़ते ग्राफ को रोकने और वायु कर गुणवत्ता को सुधारने के लिए रोडमैप एक्शन प्लान तैयार किया गया। इसके तहत वायु प्रदूषण को बढ़ाने वाले कारकों को चिह्नित कर प्लान तैयार किया गया था। सिटी स्पेसिफिक एक्शन प्लान फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट के तहत इनके क्रियान्वयन के लिए समय सीमा निर्धारित की गई। इसमें रोड कंस्ट्रक्शन समेत अन्य कंस्ट्रक्शन के कार्यो को समाप्त करने की समय सीमा अप्रैल 2018 निर्धारित की गई। उस दौरान तत्कालीन डीएम गौरव दयाल ने प्रदूषण विभाग, नगर निगम, क्रेडाई, लोक निर्माण विभाग, एनएचएआई, जल निगम आदि विभागों के साथ मीटिंग कर प्लान तैयार किया गया। लेकिन ये रोडमैप फाइलों से बाहर नहीं आ सका। मौजूदा समय में स्थिति जस की तस है।

ऐसे बढ़ा रहे सांसों की दुश्वारियां

वातावरण में धूल के कणों का मानक सामान्य तौर पर 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है। धूल के कणों में इजाफा होता है, तो ये 200 से 350 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक हो जाते हैं। पीएम 10 को पीएम पार्टिकल मैटर कहते हैं, जो हवा में मौजूद रहते हैं। हवा में मौजूद धूल, धुआं, गंदगी आदि की वजह से हवा में इनकी मात्रा में इजाफा हो जाता है। सामान्य तौर पर 10 माइक्रोमीटर तक के पार्टिकल तक तो ये ठीक हैं, लेकिन पीएम 2.5 ये बड़े पार्टिकल होते हैं.ये बहुत नुकसानदायक हैं।

दिए गए थे छिड़काव के निर्देश

पिछले महीने आगरा में तैनात रहे तत्कालीन कमिश्नर के। राम मोहन राव ने एनएचएआई समेत अन्य विभागों को ये निर्देश दिए थे कि जहां कभी भी कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है। वहां मिट्टी पर पानी का छिड़काव करवाएं। उसके बाद ही कार्य शुरू करें। कुछ दिन पानी का छिड़काव हुआ इसके बाद बंद हो गया। स्थिति फिर जस की तस हो गई।