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LUCKNOW: राज्य सरकार ने जनभावनाओं और कुंभ के आयोजन को लेकर यह बड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार जल्द ही महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों, संस्थाओं इत्यादि में इलाहाबाद की जगह प्रयागराज नाम को बदलने का पत्र केंद्र सरकार को भेजेगी। खास बात यह है कि राज्य सरकार फैजाबाद का नाम बदलने की तैयारी में भी है। इसका नाम साकेत करने के लिए प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है।

संस्कृति का होगा प्रचार-प्रसार

राज्य सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि लंबे समय से इलाहाबाद का नाम बदलने के लिए अलग-अलग संस्थाओं, साधु-संतों, पत्रकार व खुद उन्होंने राज्यपाल और राज्य सरकार को पत्र लिखा था। कैबिनेट द्वारा इस बाबत लिए गये फैसले के बाद रेलवे स्टेशन, हाईकोर्ट, विश्वविद्यालय इत्यादि के नाम में परिवर्तन की कवायद शुरू की जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा जाएगा। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने से भारतीय संस्कृति का अंतरराष्ट्रीय पटल पर प्रचार-प्रसार होगा। धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। वहीं दूसरी ओर इसकी वैदिक एवं पौराणिक पहचान अक्षुण्ण रहेगी। कैबिनेट के सदस्यों ने भी इस फैसले को लेकर प्रसन्नता जताई है और मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया है।

435 साल बदलेगा नाम

जानकारों के मुताबिक मुगल बादशाह अकबर ने करीब 435 साल पहले प्रयागराज का नाम अल्लाहाबाद रखा था। बाद में यह बदलकर इलाहाबाद हो गया। लंबे समय से इसका नाम बदलकर दोबारा प्रयागराज करने की मांग की जा रही थी। राजधानी के वरिष्ठ पत्रकार श्याम कुमार ने भी इस बाबत राज्यपाल और राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा था। हाल ही में कुंभ की तैयारियों को लेकर हुई मार्गदर्शक मंडल की बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसका प्रस्ताव दिया तो वहां मौजूद साधु-संतों ने इसका खुलकर समर्थन किया था।

केवल प्रयाग का बदला नाम

मालूम हो कि इलाहाबाद की जनता भी लंबे समय से इसका नाम बदलकर प्रयाग या प्रयागराज करने की मांग कर रही थी। इस मांग के औचित्य निर्धारण को लेकर राजस्व परिषद द्वारा बताया गया कि प्राचीन ग्रंथों में हमारे देश में कुल 14 प्रयाग स्थल वर्णित हैं। इनमें प्रयाग (इलाहाबाद) के अलावा किसी अन्य स्थल का नाम परिवर्तित नहीं हुआ है। इस नगर को सभी प्रयागों का राजा अर्थात प्रयागराज कहा जाता है। प्रयाग से इलाहाबाद नाम होने पर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक भ्रम की स्थिति हमेशा उत्पन्न रही है।

मायावती ने बदले, अखिलेश ने पलटे

पूर्व मुख्यमंंत्री अखिलेश यादव ने कुर्सी संभालने के चंद महीनों बाद ही पूर्ववर्ती बसपा सरकार द्वारा बदले गये आठ जिलों के पुराने नाम फिर से बहाल कर दिए थे। इनमें छत्रपति शाहूजी महाराज नगर (अमेठी) का नाम फिर से अमेठी, रमाबाई नगर को फिर कानपुर देहात, भीमनगर को संभल, प्रबुद्धनगर को शामली और पंचशीलनगर को हापुड़ कर दिया था। इसी तरह कांशीरामनगर को फिर से कासगंज, महामायानगर को हाथरस और जेपीनगर का नाम फिर से अमरोहा कर दिया गया था। जिलों के नाम बदलने की राजनीति का कुछ ऐसा आलम है कि भदोही का नाम सपा-बसपा सरकारों द्वारा तीन बार बदला गया। बसपा सरकार में इसका नाम संतरविदास नगर किया गया था जिसे अखिलेश सरकार ने 2016 में फिर से भदोही कर दिया था।

इलाहाबाद टु प्रयागराज: कहीं समर्थन तो कहीं विरोध

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