मोदी सरकार को चार साल पूरे हो चुके हैं। इस दौरान अलग-अलग मौकों पर बड़े-बड़े दावों और वादों के साथ तमाम बड़ी योजनाएं योजनाएं लांच की गई। कभी स्वच्छ भारत योजना से शहर को चमका देने की बात कही गई तो कभी मुद्रा योजना से लोगों की किस्मत बदलने का दावा किया गया। डिजिटल इंडिया से भारत को कैशलेस बनाने की बातें भी हुई। तो जीएसटी से बिजनेस सिस्टम को बदलने की भी कोशिश की गई। वहीं स्मार्टसिटी से शहरों सूरत चमकाने के वादे भी खूब थे। आइए मोदी सरकार के चार साल पूरा होने पर जानते हैं अपने शहर में इन पांच ड्रीम योजनाओं का क्या हाल है

रोजाना छूट जाता है 40 फीसदी कूड़ा

-अपने वादे पर खरी नहीं उतरी एजेंसी हरी-भरी

-देर-सबेर उठता है कूड़ा, अच्छे नहीं हैं शहर के हालात

ALLAHABAD: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को पलीता लगाने में सरकारी मशीनरी कहीं से पीछे नहीं है। खासकर सड़कों से पूरा कूड़ा भी रोजाना नहीं उठ पा रहा है। यह गली-मोहल्लों में बीमारी फैलाने के लिए काफी है। साफ-सफाई के प्रति इसी उदासीनता का परिणाम है कि 2016 के स्वच्छ भारत सर्वेक्षण में प्रयाग का यूपी में पहला स्थान था। 2017 में इसकी रेटिंग गिरकर देश में 247वें स्थान पर आ गई। इसके बाद भी नगर निगम के अधिकारी व कर्मचारियों की आंख नहीं खुली।

60 वार्डो में था कूड़ा उठाने का वादा

शहर में 80 वार्ड में से 60 वार्ड में कूड़ा उठाने का वादा एजेंसी हरी-भरी ने किया था, लेकिन वह इसे पूरा नहीं कर सकी। रोजाना किसी न किसी वार्ड से कूड़ा नहीं उठाए जाने की शिकायत सामने आती है। शुक्रवार को म्योराबाद में कूड़ा उठाने वाली गाड़ी के नहरीं पहुंचने की सूचना थी।

पुराने शहर में कोई नहीं झांकता

ऐसा नहीं है कि नगर निगम के पास अपने सफाईकर्मी नहीं है। बावजूद इसके पुराने शहर के हालात ठीक नहीं है। चकिया, राजरूपपुर, कालिंदीपुरम, केसरिया, करेली, चकनिरातुल चकिया आदि इलाकों में कूड़ा कई-कई दिनों तक नहीं उठता है। न तो हरी-भरी और न ही नगर निगम की ओर से पब्लिक को राहत दी जाती है। बता दें कि नगर निगम के पास 900 सफाईकर्मी आउटसोर्सिग के हैं। इनको शहर को साफ रखने की पूरी जिम्मेदारी सौंपी गई है।

इस साल के सर्वेक्षण पर निगाह

पिछले साल स्वच्छ भारत सर्वेक्षण में पिटने के बाद इस साल फिर से प्रशासन की निगाह इस ओर लगी हुई है। पिछले दिनों सर्वे करने आई टीम साफ-सफाई के हालात की रिपोर्ट अपने साथ ले गई थी। इसके आधार पर इस साल इलाहाबाद को रैंकिंग दी जाएगी। अगर सुधार नजर नहीं आया तो अगले साल होने वाले कुंभ में सफाई की मिसाल पेश करने की केंद्र सरकार की मंशा को झटका लग सकता है।

600 मीट्रिक टन शहर में रोजाना निकलने वाला कूड़ा

60 फीसदी बसवार प्लांट तक पहुंचने वाला कूड़ा

60 वार्ड हरी-भरी के अंतर्गत आने वाले

80 है शहर में कुल वार्ड की संख्या

150 है नगर निगम के अपने रेगुलर सफाईकर्मी

900 हैं संविदा पर तैनात सफाईकर्मी