प्रमुख सचिव गृह व अन्य अधिकारी हाजिर, आदेश 22 अक्टूबर को

कम्पनी के भवन के ध्वस्तीकरण का मामला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नया उदासीन पंचायती अखाड़ा की मांग पर नगर आयुक्त के आदेश से माया पत्रिका प्रकाशित करने वाली कम्पनी मित्र प्रकाशन के भवन के ध्वस्तीकरण मामले में प्रमुख सचिव गृह को कड़ी फटकार लगायी। 20 लाख के हुए नुकसान व चोरी की विवेचना की गति पर असंतोष जताया। कोर्ट के आदेश से प्रमुख सचिव गृह, एडीजी जोन, आईजी रेंज व एसएसपी इलाहाबाद सहित मंडलायुक्त व नगर आयुक्त कोर्ट में हाजिर थे।

कोर्ट को अधिकार नहीं

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अंजनी कुमार मिश्र ने दोनों पक्षो को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित कर लिया। कोर्ट 22 अक्टूबर को आदेश देगी। महाधिवक्ता का कहना था कि कोर्ट को पुलिस विवेचना किस तरीके से हो, निर्देश देने का अधिकार नहीं है। उन्होंने विवेचना पूरी करने के लिए कोर्ट से समय मांगा। अखाड़ा भवन के ध्वस्तीकरण को लेकर कोर्ट ने अधिकारियों को तलब किया था। मालूम हो कि कम्पनी का समापन हो रहा है। भवन कोर्ट की अभिरक्षा में आफीशियल लिक्वीडेटर के कब्जे में सौंपा गया है। कोर्ट की अभिरक्षा में रखे गये भवन को नगर आयुक्त द्वारा ध्वस्त करने का आदेश दिया गया जिसकी प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है।

निगम की कार्रवाई पर हम लाभार्थी कैसे

पंच परमेश्वर नया पंचायती अखाड़ा उदासीन के महन्त जगतार मुनि के अधिवक्ता का कहना था कि नगर निगम ने ध्वस्त कराया है और इससे उन्हें लाभार्थी नहीं माना जा सकता। सरकार का कहना था कि 20 भवनों को नोटिस दी गयी थी। कम्पनी को भी नोटिस दी गयी थी। लिक्वीडेटर के अधिवक्ता का कहना था कि कोर्ट कार्यवाही की जानकारी के बावजूद पुराने भवन का अवैध ध्वस्तीकरण किया गया। जिसका प्रत्यक्ष लाभ महन्त को होगा। कोर्ट ने ध्वस्तीकरण व चोरी मामले की सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित कर लिया।