हम भी बन गए 'लालू'

गोरखपुर जेल में एक हजार से अधिक बंदी संगीन धाराओं में बंद हंै। कुछ को उनके अपराध की सजा मिल चुकी है तो कुछ का मामला कोर्ट में लंबित है। जेल में ऐसे ही कुछ बंदी है, जिनके पास डिग्री तो एक टीचर से भी अधिक है, मगर एक गुनाह ने उन्हें जेल पहुंचा दिया। अब वे अपने जुर्म की सजा काट रहे हैं। जेल एडमिनिस्ट्रेशन ने ऐसे ही बंदियों को एक नई जिम्मेदारी सौंपी है। जिस तरह रांची जेल में सजा काट रहे बिहार के एक्स चीफ मिनिस्टर लालू प्रसाद यादव को टीचिंग का काम मिला है, ठीक उसी तरह ये बंदी भी सलाखों के पीछे क्लास चलाएंगे। जिनसे जेल में बंद इललिट्रेट बंदी शिक्षा लेंगे।

गोरखपुर जेल में करीब 1300 से अधिक बंदी बंद है। जिसमें से तकरीबन 100 बंदी और कैदी लगभग इललिट्रेट है। जिन्हें एजुकेट करने की जिम्मेदारी फिलहाल जेल में ही बंद 4 बंदियों को दी गई है। जो सुबह-शाम क्लास लेकर उन्हें ए, बी, सी, डी के साथ क, ख, ग, घ सिखाएंगे। क्योंकि ये टीचर बंदी हाईस्कूल नहीं है बल्कि इनके पास एमबीए, एमए से लेकर बीएड तक की डिग्री है।

एसके शर्मा, सीनियर सुपरिटेंडेंट गोरखपुर जेल

अपराधी              - जुर्म              - एजुकेशन

देवेंद्र नाथ पांडेय     - 419, 420       - एमए इंग्लिश, बीएड

विकास पाठक        - 419, 420       - एमबीए

हेमंत सिंह            - 302, गैंगस्टर    - इंटर

अरुण कुमार गुप्ता    - दहेज हत्या       - इंटर

report by : kumar.abhishek@inext.co.in

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