क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ: झारखंड हाई कोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर रोक लगा दी है. अब प्राइवेट स्कूल मनमाने तरीके से बच्चों की फीस नहीं बढ़ा सकेंगे. कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसले में कहा है कि स्कूल 10 परसेंट तक फीस बढ़ाने के लिए स्वतंत्र हैं. लेकिन, इससे ज्यादा फीस बढ़ाने के लिए जिला स्तरीय कमेटी की अनुमति लेनी होगी. सोमवार को हाई कोर्ट में प्राइवेट स्कूलों की फीस निर्धारित करने के मामले में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि अब बिना उनके आदेश के स्कूल की फीस नहीं बढ़ेगी. कोर्ट के इस आदेश से राज्य के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के पेरेंट्स को बड़ी राहत मिलेगी. बता दें कि जनवरी 2019 में सरकार ने फीस बढ़ाने को लेकर एक कमेटी बनाई है.

विधानसभा से पास हुआ है विधेयक

इससे पहले झारखंड के प्राइवेट स्कूलों की मनमानी रोकने वाला झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन विधेयक झारखंड विधानसभा में पास किया गया था. इसमें यह प्रावधान किया गया था कि प्राइवेट स्कूलों की फीस तय करने के लिए स्कूल व जिला स्तर पर एक कमेटी का गठन किया जाएगा. हाई कोर्ट का आज का फैसला इसी कमेटी के संदर्भ में है.

क्या है प्रावधान

इसके अनुसार, स्कूल स्तरीय समिति में अभिभावक भी होंगे. स्कूलों द्वारा मनमाना शुल्क लेने पर उसे 50 हजार रुपए से लेकर ढाई लाख रुपए तक जुर्माना देना होगा. प्राइवेट स्कूल दस परसेंट से अधिक शुल्क नहीं बढ़ा सकेंगे. इससे अधिक शुल्क बढ़ाने के लिए उन्हें उपायुक्तों की अध्यक्षता वाली जिला कमेटी से अनुमोदन लेना होगा.

यह भी प्रावधान

-झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण में मामला आने के बाद 30 दिनों के भीतर इसका निपटारा किया जाएगा.

-न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेश के विरुद्ध झारखंड हाई कोर्ट में 90 दिनों के भीतर ही अपील की जा सकेगी.

-स्कूलों को जिला कमेटी का निर्णय नोटिस बोर्ड तथा वेबसाइट में चिपकाना होगा.

क्या है जिला कमिटी

इस तरह स्कूल प्रत्येक वर्ष शुल्क में वृद्धि नहीं कर सकेंगे. यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि कोई स्कूल दस परसेंट से अधिक फीस बढ़ाता है तो उसे जिला कमेटी से अनुमोदन लेना होगा. यह जिला कमेटी उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित होगी. समिति शुल्क बढ़ाने के विरोध को लेकर अभिभावकों के पक्ष की सुनवाई करेगी और 60 दिनों के भीतर अपना फैसला देगी. जिला कमेटी का आदेश दो साल के लिए मान्य होगा तथा इसके विरोध में मामला झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण को छोड़कर किसी अन्य सिविल न्यायालय में नहीं लाया जाएगा.

कमेटी में सांसद-विधायक भी

जिला स्तरीय कमेटी में संबंधित क्षेत्र के सांसद और विधायक भी सदस्य होंगे. पिछले शीत सत्र में इस मसले को लेकर हंगामा हुआ था और विधायक को शामिल करने को लेकर ही इसे प्रवर समिति को भेज दिया गया था.

स्कूलों में भी होगी कमेटी

प्रावधान के अनुसार, हर प्राइवेट स्कूल की फीस कमेटी होगी. इसमें स्कूल प्रबंधन द्वारा मनोनीत प्रतिनिधि अध्यक्ष, प्राचार्य सचिव, तीन मनोनीत शिक्षक तथा अभिभावक संघ द्वारा नामित चार अभिभावक सदस्य होंगे. इस कमेटी का कार्यकाल तीन वर्ष के लिए होगा.

ऐसे तय होगा शुल्क

शुल्क के निर्धारण में स्कूल की स्थिति, उपलब्ध शैक्षणिक संरचना, शिक्षकों की संख्या तथा उन्हें दिए जानेवाले वेतन को ध्यान में रखा जाएगा. कमेटी प्रस्तावित शुल्क संरचना की मंजूरी एक माह के भीतर देगी. निर्धारित शुल्क दो वर्ष के लिए वैध होगा.

अधिक फीस लेने पर मान्यता होगी रद

किसी स्कूल द्वारा इस अधिनियम का पहली बार उल्लंघन करने पर 50 हजार से ढाई लाख रुपये या लिए गए अधिक शुल्क की दोगुनी राशि जो भी अधिक हो, जुर्माना देना होगा. दूसरी बार यह अपराध करने पर न्यूनतम राशि एक लाख रुपये हो जाएगी. राज्य सरकार उक्त स्कूल की मान्यता भी खत्म कर सकेगी.

प्रमंडलीय आयुक्त करेंगे कार्रवाई

जिला कमेटी के आदेशों के उल्लंघन की सूचना कमेटी का कोई भी सदस्य प्रमंडलीय आयुक्त को देगा. प्रमंडलीय आयुक्त उक्त शिकायत का निष्पादन दो माह के भीतर करेंगे. प्रमंडलीय आयुक्त ही दंड की राशि की वसूली करेंगे. यह राशि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के पास जमा होगी.

किताब-कॉपी, ड्रेस खरीदने का दबाव नहीं

स्कूल परिसर में कॉपी-किताब या अन्य सामग्री जैसे ड्रेस, जूता-मोजा आदि की बिक्री के लिए अभिभावकों और छात्र-छात्राओं को खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा. स्कूल परिसर का इस्तेमाल केवल शैक्षणिक कार्य के लिए किया जाएगा.