ALLAHABAD: अपेक्षा और जरूरत की कोई सीमा नहीं होती। ये दोनों चीजें जितनी पूरी होती जाती हैं, उससे कहीं ज्यादा बढ़ती चली जाती हैं। पब्लिक की अपेक्षा और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ही मोदी सरकार के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को लोकसभा में बजट पेश करते हुए हर खास-ओ-आम पर केन्द्रित करने की कोशिश की। हर किसी को कुछ न कुछ देने का प्रयास किया, इसके बाद भी पब्लिक मोदी सरकार के बजट से संतुष्ट नहीं है। जानते हैं, क्यों संतुष्ट नहीं है पब्लिक
यह एक ऐसा बजट है, जिसमें आम आदमी के लिए बहुत कुछ है। अच्छे दिन लाने का जो वादा नरेन्द्र मोदी ने किया था। वह उनकी टीम साकार करती नजर आ रही है। इसमें हर तबके को छूने की कोशिश की गई है। कह सकते हैं कि लम्बे समय बाद ऐसा बजट देखने और सुनने को मिला है। एजुकेशन के लिए भी पर्याप्त घोषणाएं की गई हैं।
डॉ। हर्ष मणि, अर्थशास्त्री
ऐसे समय जब देश बाहरी और आंतरिक खतरों से जूझ रहा है, इसे उम्मीदों से भरा बजट कहा जा सकता है। मैने बजट को लेकर जो सोचा था यह उसके आसपास ही रहा। फिर भी यह देखने वाली बात होगी कि नमो की टीम आने वाले समय में उम्मीदों और योजनाओं पर कितना खरा उतर पाती है। आईआईटी और आईआईएम खोलने का फैसला अच्छा है।
डॉ। एआर सिद्दकी, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी
बजट में ज्यादातर चीजें पुरानी ही हैं। एक्स फाईनेंस मिनिस्टर पी। चिदंबरम ने जो खाका तैयार किया था। उसे ही नए कलेवर में ढालकर पेश कर दिया गया है। एजुकेशन के लिए भी कुछ खास नहीं किया गया है। फिर भी जितना है अगर नई सरकार उस पर ही अमल करके दिखा दे तो आम जनता और देश के लिए बहुत कुछ हो जाएगा। फिलहाल तो बहुत कुछ भविष्य पर ही टिका हुआ है।
प्रोफेसर पीके घोष,
अर्थशास्त्र डिपार्टमेंट इलाहाबाद यूनिवर्सिटी
सेंट्रल गवर्नमेंट ने स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए जो पहल की है वह एनर्जी बूस्टर का काम करेगी। मणिपुर में स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी खुलने से प्लेयर को काफी फायदा होगा। देश में कोई स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी नहीं थी। खिलाडि़यों में काफी खुशी है।
रुस्तम खां
डिप्टी स्पोर्ट्स अफसर
इस बार का बजट लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए पास किया गया है। खासतौर पर स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी खोलने का निर्णय प्लेयर को एक नई दिशा प्रदान करेगी। इसकी देश को जरूरत थी। प्लेयर को अच्छी कोचिंग व कोर्स के लिए अक्सर देश से बाहर जाना पड़ता था। यूनिवर्सिटी के खुलने से देश में ही बेहतर मौका मिलेगा।
-अजय कुमार सेठी
आरएसओ
इनकम टैक्स लिमिट को और बढ़ाना चाहिए था। बाकी चीजों के हिसाब से तो सही लग रहा है। दवाओं को सस्ती करना, देश की सुरक्षा पर ध्यान देना और रक्षा सौदों व बीमा में एफडीआई लाने का निर्णय काफी हद तक सही है। कुल मिलाकर बजट ठीक ही रहा।
वसुबंधु सिंह
बजट मिश्रित रहा। अपेक्षाएं पूरी नहीं हुई लेकिन, कुछ मामलों में लिए गए निर्णय दूरगामी परिणाम वाले हो सकते हैं। तीन लाख तक इनकम को टैक्स फ्री करने की उम्मीद थी। यह दो लाख पर ही रुक जाने से निराशा है।
अजय यादव
सहायक लेक्चरर
बजट महिलाओं की सिक्योरिटी के लिए स्पेशल है। यह जानकर अच्छा लगा। पुलिसिंग में सुधार की देश को जरूरत है।
अल्का धर्मराज