तत्कालीन बसपा सरकार में स्मारकों पर धुआंधार खर्च का मामला

- 42 अरब 77 करोड़ रुपये की लागत से हुआ था स्मारकों और पाकरें का निर्माण

- 14 अरब 88 करोड़ 40 लाख का घोटाला होने की लोकायुक्त ने दी थी रिपोर्ट

- 34 फीसदी लागत राशि की बंदरबांट होने का लोकायुक्त रिपोर्ट में हुआ था दावा

- सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद बढ़ी मायावती की मुश्किल

- लखनऊ और नोएडा में लगी थी मायावती की कई मूर्तियां

- कई गुना ज्यादा कीमत पर सप्लाई हुए थे पत्थर के हाथी

LUCKNOW:

बसपा सरकार में नोयडा और लखनऊ में बने स्मारकों और पार्को में लगी बसपा सुप्रीमो मायावती और हाथियों की मूर्तियों पर खर्च की गयी रकम वसूलने के सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देश से यह साफ हो चुका है कि सूबे में हुए इस बड़े घोटाले की कीमत अब मायावती को भी चुकानी होगी। ध्यान रहे कि स्मारक घोटाले में बसपा सरकार के दो तत्कालीन मंत्रियों के अलावा निर्माण निगम, एलडीए, खनन विभाग के अफसरों के साथ सप्लायर और ठेकेदार भी जांच के घेरे में है, जबकि मायावती को लोकायुक्त ने अपनी जांच में क्लीन चिट दे दी थी। स्मारक घोटाले की लोकायुक्त जांच में 14 अरब का घोटाला सामने आया था। लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने यह रकम दोषियों से वसूलने की सिफारिश भी की थी पर इस मामले की विजिलेंस जांच कभी पूरी ही नहीं हो पाई। वहीं ईडी ने भी दो बार सक्रियता तो दिखाई पर वह भी घोटालेबाजों की संपत्तियां अटैच करने में नाकाम साबित हुई।

अरबों रुपये की मूर्तियां

स्मारकों के निर्माण के दौरान बसपा के संस्थापक कांशीराम के अलावा मायावती ने अपनी भी कई मूर्तियां लगवाई थी। इसके अलावा बडे़ पैमाने पर हाथियों की मूर्तियों को भी कई गुना ज्यादा कीमत पर लगवाया गया था। केवल नोएडा में ही दलित प्रेरणा स्थल पर हाथी की पत्थर की 30 मूर्तियां जबकि कांसे की 22 मूर्तियां लगवाई गयी थी। इसमें करीब 685 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। लखनऊ में बने स्मारकों और पार्को में इसका तादाद इससे कहीं ज्यादा है। वहीं स्मारकों और पार्को के निर्माण के लिए पुरानी जेल को जमींदोज कर दिया गया तो सिंचाई विभाग के तमाम रिहाइशी आवासों को भी रातोंरात ध्वस्त कर दिया गया था। इसी वजह से मुख्यमंत्री बनने के बाद अखिलेश यादव ने इसे 40 हजार करोड़ का घोटाला करार दिया था। इसके अलावा स्मारकों के रखरखाव और सुरक्षा के लिए पांच हजार से ज्यादा कर्मचारियों की नियुक्ति की गयी थी और उसके लिए विशेष बल गठित किया गया था।

चुनाव में ढकी गयी थी मूर्तियां

ध्यान रहे कि स्मारकों के निर्माण के समय से ही सुप्रीम कोर्ट में यह मामला चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने स्मारकों के निर्माण पर रोक भी लगाई थी पर इसे नजरअंदाज कर काम चलता रहा। चुनाव के दौरान निर्वाचन आयोग के निर्देश पर मायावती और हाथियों की मूर्ति को ढकने का आदेश भी हुआ। सत्ता बदली तो अमित जानी ने प्रेस कांफ्रेंस कर आंबेडकर पार्क के पास लगी मायावती की मूर्ति को अपने साथियों के साथ हथोड़े से तोड़ डाला तो सूबे में सियासी तूफान मच गया। इसके कुछ दिनों बाद ही एसएसपी लखनऊ ने हाथी मूर्ति बनाने वाले एक कारीगर की शिकायत पर सप्लाई करने वाली फर्म लखनऊ मार्बल के मालिक आदित्य अग्रवाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार करा दिया और हाथियों की मूर्ति की चार गुना ज्यादा रकम वसूलने के खेल का खुलासा कर दिया था।

इनसे होनी थी घोटाले की रकम की वसूली

नसीमुद्दीन व बाबूसिंह से कुल धनराशि का 30-30 फीसद, निर्माण निगम के तत्कालीन एमडी सीपी सिंह से 15 फीसद, खनन विभाग के सलाहकार एसए फारूकी से पांच फीसद, निर्माण निगम के 15 इंजीनियरों से कुल 15 फीसद धनराशि की वसूली की लोकायुक्त रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी। यह भी सिफारिश की गई थी कि जांच में आरएनएन के जिन लेखाकारों के पास आय से अधिक संपत्ति पाई जाए, उनसे शेष हानि का पांच फीसद वसूल किया जाए। यह बात दीगर है कि सुस्त जांचों की वजह से इसे आज तक वसूला नहीं जा सका।

इनको बनाया गया था आरोपी

तत्कालीन मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा, 54 निर्माण निगम के अफसर, खनन विभाग और एलडीए के पांच-पांच अधिकारियों को दोषी पाया गया था। लोकायुक्त ने अपनी जांच में 2 पूर्व विधायक, एक मौजूदा विधायक, निर्माण निगम के 37 एकाउंटेंट और 60 कंपनियों को भी आरोपी पाया था।

आरोप

=याचिकाकर्ता वकील रवि कांत और सुकुमार ने सुप्रीम कोर्ट में आरोप लगाया है कि जनता के धन से मायावती और हाथियों की मूर्तियां लगवाई गयी।

=मायावती की आठ मूर्तियों के निर्माण पर 3.49 करोड़

=कांशीराम की मूर्तियों पर 3.37 करोड़ रुपए खर्च

=52.20 करोड़ रुपए बसपा के चिन्ह हाथी की 60 मूर्तियों और ग्रेनाइट मार्बल लगाने पर

लोकायुक्त रिपोर्ट

=स्मारकों के निर्माण के लिए राजकीय निर्माण निगम, आवास एवं शहरी नियोजन विभाग, लोक निर्माण विभाग, नोएडा अथॉरिटी, एलडीएम, संस्कृति तथा सिंचाई विभाग ने कुल 42 अरब 76 करोड़ 83 लाख 43 हजार रुपये जारी किए थे।

=41 अरब 48 करोड़ 54 लाख 80 हजार खर्च

=1 अरब 28 करोड़ 28 लाख 59 हजार रुपये वापस

=स्मारकों के निर्माण पर खर्च कीकुल धनराशि का लगभग 34 फीसदी ज्यादा खर्च करके सरकार को 14 अरब 10 करोड़ 50 लाख 63 हजार 200 रुपये का नुकसान पहुंचाया गया।