पौष शुक्ल एकादशी 'पुत्रदा एकादशी' के नाम से जानी जाती है, जो इस वर्ष गुरुवार यानी 17 जनवरी 2019 को मनाई जा रही है। इसके उपवास से पुत्र की प्राप्ति होती है।

प्राचीन काल में भद्रावती नगरी के राजा वसुकेतु के पुत्र न होने से राजा और रानी दोनों दुखी थे। उनके मन में यह विचार उठा कि पुत्र के बिना हाथी, घोड़ा, रथ, राज्य, नौकर-चाकर और सम्पत्ति सब निरर्थक है, अतः पुत्र प्राप्ति का उपाय करना चाहिए।

यह सोचकर राजा एक ऐसे गहन वन में चले गए, जिसमें बड़, पीपल, बेल, जामुन, केला, कदम्ब और आम आदि भरे हुए थे; जहां सिंह, व्याघ्र, सूकर, खरगोश, हिरण, सियार और चार दाँतों के हाथी आदि घूम रहे थे। तोता, कबूतर उल्लू आदि बोल रहे थे तथा सांप, बिच्छू, गोह और कीट-पतंगादि डरा रहे थे।

ऐसे सुहावने और डरावने जंगल में एक अत्यंत सुन्दर, मनोहर और मधुरतम जलपूर्ण सरोवर के तटपर संत—मुनि सत्कर्मों का अनुष्ठान कर रहे थे। उनको देखकर राजा ने अपना अभीष्ट निवेदन किया।

तब महात्माओं ने बतलाया कि आज पुत्रदा एकादशी है, इसका उपवास करो तो पुत्र प्राप्त हो सकता है। राजा ने वैसा ही किया और ईश्वर की कृपा से उनके यहां सर्वगुण सम्पन्न सुन्दर पुत्र ने जन्म लिया।

इस दिन भगवान श्री नारायण या श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है।

- ज्योतिषाचार्य पं गणेश प्रसाद मिश्र

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