नई दिल्ली। मोदी सरकार द्वारा देश भर के गरीब सवर्णों को 10 परसेंट आरक्षण देने वाला बिल मंगलवार को लोकसभा में पास होने के बाद आज बुधवार को राज्यसभा में रखा गया। जहां इस बिल पर पूरे दिन जोरदार बहस चली। रात 10 बजे के बाद इस बिल पर वोटिंग कराई गई। जिसमें यह बिल दो बिहाई बहुमत से पास हो गया है। बिल के पक्ष में कुल 165 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में सिर्फ 7 वोट पड़े। इस तरह से भारत के गरीब सवर्णों को 10 परसेंट आरक्षण देने को रास्ता साफ हो गया है। अब यह बिल राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।

 

राज्यसभा में अाज सवर्ण आरक्षण बिल पर विपक्षियों की मांग थी कि सवर्ण आरक्षण बिल को विस्तृत विचार के लिए एक चयन समिति को भेजा जाए। जबकि सरकार इसे आगे न बढ़कार शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन बुधवार को इसका पारित कराने की कोशिश में दिखी। लोकसभा में कल संविधान (124वां संशोधन) विधेयक पारित हो चुका है। यह बिल गर्वमेंट जाॅब व हायर एजूकेश सेंटर्स में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाला है। सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत ने इसे राज्यसभा में पेश किया। ऐसे में इस बिल पर आपत्ति जताते हुए सीपीआई के सदस्य डीसीपी सदस्य डी राजा ने मांग की कि इसे एक प्रवर समिति को भेजा जाए और सदन को पहले इस पर निर्णय लेना चाहिए।


सामान्य वर्ग के गरीब अवसरों से चूक जाते
इसके बाद कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री ने भी इस पर सवाल उठाया। उन्होंने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुये आरक्षण संबंधी विधेयक को अधूरा बताया तथा आसन द्वारा विधेयक पर चर्चा का समय नहीं बताने पर व्यवस्था देने का अनुरोध किया। उन्होंने सरकार से कहा कि एक ही दिन परिचय और मतदान दोनों नहीं हो सकते। इस दाैरान संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने कहा कि कांग्रेस आरक्षण संबंधी विधेयक का परोक्ष विरोध कर इसे पारित कराने की राह में तकनीकी बाधायें खड़ी कर रही है। यदि आप खुले तौर पर विधेयक का विरोध करते हैं, तो यह अलग है। अन्यथा, चलिए इस पर चर्चा करते हैं क्योंकि यह पहले ही पेश किया जा चुका है। इसके बाद बिल को आगे बढ़ाते हुए गहलोत ने कहा कि संविधान आर्थिक आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता है और इसके कारण सामान्य श्रेणी के गरीब लोग अवसरों से चूक जाते हैं।

सर्वसम्मति से बिल पास करने की अपील
सामान्य वर्ग के गरीबों द्वारा शिकायत की गई थी कि वे सरकारी लाभ का लाभ नहीं उठा पाते हैं। ऐसे में यह निर्णय बहुत सोच समझ कर बाद लिया गया है। यह विधेयक गरीबों के उत्थान का काम करेगा। इसके बाद उन्होंने सदस्यों से सर्वसम्मति से विधेयक पारित करने की अपील की। इसके बाद भाजपा सदस्य प्रभात झा ने बहस शुरू की लेकिन जब तक चीख-पुकार और हंगामा जारी रहा तो उपसभापति हरिवंश ने सदन को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 परसेंट आरक्षण देने के फैसला लिया। ऐसे में कल यह बिल लोकसभा में पेश हुआ और आज राज्यसभा में पेश होगा। सभी की निगाहें राज्यसभा पर टिकी हैं। लोकसभा में तो अासानी से पास हुआ लेकिन राज्यसभा में कठिन माना जा रहा है क्योंकि यहां सरकार के पास बहुमत नहीं है।  



सदन में दो-तिहाई समर्थन की जरूरत

संशोधन के लिए सदन में आधे से अधिक सदस्यों की मौजूदगी और दो-तिहाई समर्थन की जरूरत होती है। वर्तमान राज्यसभा में 244 सदस्य हैं। इसमें सबसे अधिक सीटें भाजपा की हैं। भाजपा 73 सांसदों के साथ राज्यसभा में है। इसके बाद कांग्रेस के पास 50 सदस्य हैं। भारतीय जनता पार्टी ने अपने सदस्यों को तो व्हिप जारी किया था। बता दें कि यह बिल कल लोकसभा में पेश हुआ। कल रात को वोटिंग भी हुई थी और सवर्ण आरक्षण संशोधन बिल यहां पास हुआ। इस दाैरान कुल 326 सदस्यों ने वोटिंग में भागीदारी की। इसमें 323 लोकसभा सदस्यों ने बिल के पक्ष में वोटिंग की। वहीं 3 लोगों ने बिल के खिलाफ वोट डाले। ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए इस बिल को लोकसभा से हरी झंडी मिल गई है।

आरक्षण के समर्थन में कांग्रेस
कांग्रेस ने राज्यसभा में बुधवार को कहा कि वह आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए सामान्य श्रेणी में 10 प्रतिशत कोटा को मंजूरी देने के फैसले का स्वागत करती है लेकिन  लोकसभा चुनाव से पहले ही भारतीय जनता पार्टी यह बिल क्यों लेकर आई। 124 वां संशोधन विधेयक, 2019 पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में बोलते हुए, कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा, 'हम इस बिल का विरोध नहीं कर रहे हैं लेकिन सवाल यह है कि यह अचानक क्यों लाया गया है। यह संसद का अंतिम सत्र है ... फिर लोकसभा चुनाव है।' उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने साढ़े चार साल के शासन में यह बिल क्यों नहीं पेश की और हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में पार्टी के पांच राज्यों के हारने के बाद ही यह फैसला आया है, जिससे साफ जाहिर होता है कि पार्टी सही रास्ते पर नहीं है। शर्मा ने राज्यसभा में कहा, 'आपको जल्द ही जनता की तरफ से एक बड़ा संदेश मिलने वाला है। विधेयक एक ऐसी सरकार द्वारा पेश किया गया है, जो लगभग जाने के कगार पर है। शर्मा ने कहा कि कांग्रेस शिक्षा में लाभ, वंचितों, पिछड़ों और कमजोर वर्गों को रोजगार देने के उद्देश्य से पेश किये गए आरक्षण की अवधारणा का समर्थन करती है।

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