- अधिकतर ट्रेनों के विंडो नहीं होते हैं सही से बंद

<- अधिकतर ट्रेनों के विंडो नहीं होते हैं सही से बंद

BAREILLY:

BAREILLY:

मुजफ्फरपुर से देहरादून जाने वाली राप्ती गंगा एक्सप्रेस कोच एस-ब् बर्थ क्भ् पर बैठे रामू पंडित (म्7) को सर्द हवाओं ने मंडे को बीमार कर दिया। कंट्रोल रूम को सूचना मिली कि राप्ती गंगा में एक यात्री को सर्दी लग गई है। ट्रेन बरेली जंक्शन पहुंचने पर रामू पंडित को अटेंड किया गया। इस दौरान पता चला कि जिस सीट पर राम पंडित बैठे थे, उसकी विंडो पूरी तरह बंद नहीं हो रही थी, जिसके चलते सरसराती हवा सीधे उन्हें लग रही थी। सर्द हवाओं को वह बर्दाश्त नहीं कर पाए ओर बीच सफर में ही बीमार हो गए। सर्दी के मौसम में ट्रेनों की विंडो बंद न होने से ठंड का दंश सहने के लिए सभी ट्रेनों के यात्री मजबूर हैं। रेलवे यात्रियों से सुविधा के नाम पर एक्स्ट्रा रुपया तो वसूल करता है, लेकिन अधिकारियों की नजर टूटी खिड़कियों पर नहीं है।

विंडो नहीं होती है बंद

बरेली जंक्शन से होकर अप-डाउन लाइन को ख्00 ट्रेनें जाती हैं, जिनके विंडो ठीक ढंग से बंद नहीं होते हैं। विंडो के चारों तरफ लगे रबर खराब हो गए हैं। यात्री जब भी विंडो को बंद करने का प्रयास करते हैं, तो नीचे स्पेस रह जाता है। जिससे होकर सर्द हवाएं कोच के अंदर आती रहती हैं। सबसे अधिक समस्या यात्रियों को रात में उठानी पड़ रही है। सर्द हवाओं के झोंकों के कारण ठीक से सो भी नहीं पाते हैं। लिहाजा, पूरी रात जाग कर गुजारनी पड़ती है। सबसे अधिक समस्या बुजुर्ग और बच्चों को उठानी पड़ रही है। चंडीगढ़ एक्सप्रेस से मुगलसराय जा रहे राधे श्याम का परिवार भी सर्दी से परेशान था। कारण उनके बर्थ के पास की विंडो बंद नहीं हुई थी।

टूटी हैं विंडो

वहीं मैक्सिमम ट्रेनों के विंडो के कांच और लकड़ी के शटर टूटे पड़े हैं। मंडे को प्लेटफार्म नम्बर क् डाउन लाइन पर आने वाली चंडीगढ़-मुगलसराय एक्सपे्रस, पैसेंजर्स ट्रेन का खस्ता हाल था। कांच के अलावा लगे लकड़ी के विंडो जगह -जगह से टूटे पड़े थे। वहीं प्लेटफार्म नम्बर-फ् पर खड़ी बरेली-मुरादाबाद पैसेंजर्स के दिव्यांग कोच के भी विंडो टूटे हुए थे। जिसे होकर कोच के अंदर आ रही सर्द हवाएं यात्रियों को परेशान कर रही थी। यात्रियों की शिकायत के बाद भी विंडो की मरम्मत नहीं करायी जाती है।

एक नजर

- ख्00 ट्रेनें बरेली जंक्शन से होकर गुजरती हैं।

- फ्0 हजार से अधिक यात्री बरेली से करते हैं सफर।

- अधिकतर ट्रेन के कोच के विंडो ठीक से नहीं होते हैं बंद।

- सर्दी के शिकार हो रहे हैं रेलवे यात्री।

मेरा भतीजा रुहेलखंड मेडिकल कॉलेज में एडमिट है। उसे देखने के लिए बरेली आया था। चंदौसी वापस लौट रहा हूं। कोच का विंडो टूटा हुआ है। जिसकी वजह से हवाएं अंदर आ रही है।

अनिल कुमार

चंडीगढ़ से मुगलसराय जा रहा हूं। विंडो बंद नहीं हो रही है। पूरी रात अंदर आ रही सर्द हवाओं के चलते परेशान रहा। रेलवे को यात्रियों की सुविधा का ध्यान देना चाहिए।

राधे श्याम