शहर में आई आफत

जमकर बरसे मेघा और मुसीबत

LUCKNOW: लंबे इंतजार के बाद मंगलवार तड़के आसमां से जमकर राहत बरसी। मानसून की पहली बारिश ने एकतरफ भीषण गर्मी से जूझ रहे राजधानीवासियों को राहत तो दी, लेकिन मुसीबत भी कम नहंी आई। शहर के कई इलाकों में कमर तक पानी भर गया, दर्जनों पेड़ धराशायी हो गए। नतीजतन राजधानी की रफ्तार जैसी थम सी गई। वहीं राणा प्रताप मार्ग स्थित निर्माणाधीन बिल्डिंग के बेसमेंट में पानी भरने से वहां बंधे छह बेजुबानों की जलसामाधि बन गई।

गंज मे निर्माणाधीन बिल्डिंग बनी बेजुबानों के लिए काल

टाइम लाइन

-4 बजे मवेशियों के मालिकों को बेसमेंट में जानवरों को डूबने की जानकारी

- 7 बजे निर्माणधीन बिल्डिंग के कांट्रेक्टर से जानकारी

-11 बजे तक मवेशी मालिकों को कोरा आश्वासन मिलता रहा

-12 बजे मीडिया कर्मी मौके पर पहुंचे तो कर्मचारियों ने रोका

- 12.15 बजे हजरतगंज पुलिस को सूचना दी गई

- 12.30 बजे हजरतगंज पुलिस मौके पर पहुंची

- 12.45 बजे फायर और पुलिस ने रेस्क्यू आपरेशन शुरू किया

- 1 बजे नगर निगम और प्रशासन को सूचना दी गई

- 2 बजे तक फायर डिपार्टमेंट और पुलिस रेसक्यू में फेल रही

- दोपहर 4 बजे मीडिया कर्मियों ने मजदूरों संग एक मवेशी को सुरक्षित निकाला

- 4.30 बजे पानी खींचने के लिए दो मोटर लगाई गई

- 5 बजे मोटर से पानी खींचने का काम पूरा किया गया

- 6 बजे तक दलदल और पानी में फंसे पांच मवेशियों को बाहर निकाला जा सका

बेसमेंट में बंधे थे मवेशी

राणा प्रताप मार्ग स्थित वाईएमसीए कॉम्प्लेक्स के ठीक बगल में जीएस अपार्टमेंट के निर्माणाधीन बेसमेंट तेज बारिश से भर गया। बेसमेंट में पार्किग के लिए खोदाई का काम चल रहा था जिसके लिए करीब 12 मवेशी मिट्टी को एक जगह से दूसरी जगह करने में लगाए गए थे। करीब दस दिन से मिट्टी पाटने का काम जारी था। सोमवार रात रोज की तरह काम खत्म होने के बाद मवेशियों को बेसमेंट में बांध मालिक घर चले गये। मंगलवार तड़के हुई तेज बारिश से बेसमेंट में पानी भर गया। करीब पांच फीट तक पानी भरने से कई मवेशियों की जान पर बन आई। तमाम कोशिशों के बाद भी छह मवेशियों की मौत हो गयी जबकि पांच को बचा लिया गया।

मानकों के विपरीत हो रहा था काम

अपार्टमेंट में बेसमेंट में काम चल रहा था। करीब चालीस फीट गहराई में काम के दौरान न तो चारों तरफ दीवार में शटरिंग लगाई थी और न ही वहां काम कर रहे मजदूरों को सेफ्टी उपकरण उपलब्ध कराया गया था। यहां तक कि हेलमेट तक भी उपलब्ध नहीं कराया गया। एलडीए ने अंडर ग्राउंड बेसमेंट की परमिशन तो दे दी थी लेकिन खनन को लेकर प्रशासन को कोई जानकारी नहीं थी। डीएम राजशेखर ने बताया कि एडीएम एफआर मौके पर जाकर निरीक्षण करेंगे जिसके बाद तस्वीर साफ हो सकेंगी।

भाग गये कर्मचारी

करीब पांच घंटे से ज्यादा समय तक मामले को दबाने का प्रयास किया गया। मवेशी मालिकों का आरोप है कि 11 बजे तक उन्हें केवल आश्वासन दिया जाता रहा। आरोप है कि मिट्टी डालकर मृत और जिंदा जानवरों की कब्रगाह बनाने का प्रयास किया जा रहा था। पुलिस पहुंचने के बाद वहां मौजूद कर्मचारी भाग गये।

बेजुबानों का मददगार बना आई नेक्स्ट

मवेशियों के जिंदा जमींदोज होने की जानकारी मिलने पर आई नेक्स्ट की टीम मौके पर पहुंची। वहां तैनात कर्मचारियों ने टीम के अंदर जाने का विरोध किया लेकिन मौक पर पुलिस आने के बाद आई नेक्स्ट की टीम ने बेसमेंट में फंसे मवेशियों को बाहर निकालने की कवायद शुरू कर दी। आई नेक्स्ट के फोटोग्राफर आशीष पांडेय और मयंक ने मजदूरों के साथ मिलकर करीब चार घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद कई मवेशियों को बाहर निकाला।