पुनर्वसु नक्षत्र में है सूर्य

ज्योतिष डिपार्टमेंट बीएचयू के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ विनय पाण्डेय बताते हैं कि ज्योतिष शास्त्र में वृष्टि विचार के कई कारक बताये गये हैं। वर्तमान में हो रही बारिश की बात करें तो इसका सबसे बड़ा कारण सूर्य का पुनर्वसु नक्षत्र में प्रवेश करना है। सूर्य और चंद्रमा दोनों ही चंद्रमा के नक्षत्र पुनर्वसु में होने के कारण बारिश का योग बन रहा है। वहीं पुनर्वसु नक्षत्र में सूर्य के प्रवेश का वाहन भैंसा है। ज्योतिष विचार में यह अच्छी वृष्टि का संकेतक माना गया है। इसके अलावा नाड़ी विचार में सूर्य और चंद्रमा दोनों की नाड़ी अमृत नाड़ी है जो अच्छी वर्षा का कारक है। इस तरह तमाम स्थितियां हैं तो वर्षा का अच्छा योग बना रही हैं जो अगले 15-20 दिनों तक बनी रहेगी।

खण्ड वर्षा का भी योग

इसी के साथ कुछ ग्रह खण्ड वर्षा की स्थिति बना रहे हैं। जिसके चलते किसी जगह अत्यधिक तो कहीं कम वर्षा हो सकती है। ज्योतिषविद् पं विमल जैन बताते हैं कि खण्ड वर्षा में कहीं अतिवृष्टि तो कहीं कम वृष्टि होती है। इसका उदाहरण उत्तराखंड में हो रहे भारी बारिश से लिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि 18 जुलाई तक शनि और मंगल कन्या राशि में विराजमान में है जिसके चलते वायु वेग से कहीं वर्षा तो कहीं सामान्य वर्षा होगी।

खुशनुमा हुआ माहौल

दो दिनों से बदले मौसमी मिजाज का मजा लूटने लोग घरों से बाहर निकल पड़े। बूंदों की ठंडी तासीर ने माहौल को खुशनुमा बना दिया। सुबह से रात तक बादलों ने अपना घेरा बनाये रखा। दोपहर तक बादल टपकते रहा। उसके बाद सूर्य भगवान को भी  थोड़ा मौका मिला और उन्होंने बादलों के ओट से झांकने की हिम्मत जुटाई। लेकिन बादलों का खौफ उनके चेहरे पर स्पष्ट दिखाई दिया। चाहते हुए भी वे अपनी चमक दमक नहीं दिखा सके। उसके बाद बादल फिर हावी हुए और वे जल्दी ही अपनी किरणों को समेट घर की ओर लौट गये। दिन भर बादलों ने घेरा बनाया रखा और शुक्रवार की सुबह 5.30 बजे तक 38.4 मिमी पानी गिराया। इसके बाद भी बारिश थमी नहीं।

पछुआ का जोर करा सकता है खेल

मौसम विज्ञानी डॉ। एसएन पांडेय कहते हैं कि अभी मानसूनी बादलों ने घेरा डाल रखा है। हवा का रुख दक्षिणी- पूर्वी होने से आद्र्रता का स्तर बढ़ा और बादल बरसे। तीन किलोमीटर ऊपर तो हवा का रुख पछुआ है। ऐसे में इस बारिश के चलते बनी आद्र्रता से बादलों की आवाजाही और बूंदाबूंदी संभव है। अगर पछुआ पवन ने जोर पकड़ा तो यह भी संभव है कि  आसमान मानसूनी बादलों से खाली हो जाय।

बारिश ने डाली नई जान

बादलों ने अभी तक किसानों को रोने के लिए मजबूर कर रखा था। धरती प्यासी थी और धान के बेहन सूखते जा रहे थे। लेकिन इधर दो दिनों से बरस रहे बादलों ने उनके सूखे होठों पर मुस्कुराहट की तरावट बिखेर दी है। देर से ही सही बरसे बादलों ने उनकी मेहनत को बर्बाद होने से बचा लिया है। बारिश के बूदों ने धान की नर्सरी को बचा लिया है वहीं अरहर, मूंग, उरद, बाजरा की बोआई की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। कृषि वैज्ञानिक प्रो आरपी सिंह की मानें तो धान की फसल तो लेट हो गई है। लेकिन इस बारिश से किसानों को थोड़ी राहत महसूस होगी। वहीं किसानों का कहना है कि देर से ही हुई बारिश ने खेती किसानी के काम में नई जान डाल दी है।