हकीकत में सिस्टम है कि नहीं, नहीं होती है जांच

संगम पैलेस में पुरानी हो चुकी पाइप लाइनों से गिरता है पानी

पुराने शहर की मल्टीस्टोरी बिल्डिंगों में नहीं लगा है वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

ALLAHABAD: इलाहाबाद विकास प्राधिकरण 300 वर्ग मीटर या अधिक एरिया में बनने वाले भवन व मल्टी स्टोरी बिल्डिंग का नक्शा तभी पास कर रहा है, जब उसमें वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम शामिल होता है। अगर ऑन रिकार्ड कागज की बात की जाए तो अपने शहर में बनने वाली ज्यादातर मल्टीस्टोरी बिल्डिंगों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा हुआ है। वहीं हकीकत में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा है कि नहीं, काम कर रहा है कि नहीं। इसकी जानकारी एडीए के अधिकारियों को भी नहीं है।

पुराने शहर की पुरानी मल्टी स्टोरी बिल्डिंगों में नहीं है वाटर हार्वेस्टिंग

घंटे-दो घंटे की बरसात होने पर पुराने शहर का क्या हाल होता है, यह किसी से छिपा नहीं है। आवासीय भवनों के साथ ही मल्टी स्टोरी बिल्डिंगों की छत पर जमा पानी भी सीधे नाली में गिरता है। पुराने शहर की पुरानी मल्टीस्टोरी बिल्डिंगों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगा है। जबकि बिल्डिंग नई हो या पुरानी 300 वर्ग मीटर एरिया वाले बिल्डिंगों के लिए रूफ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाना अनिवार्य है।

सेटिंग से हो रहा सब काम

नियम तो सख्ती करता है, लेकिन सेटिंग सारी सख्ती को ध्वस्त कर देता है। एडीए में भी कुछ ऐसा ही चल रहा है। एक बिल्डर ने नाम ना छपने की शर्त पर बताया कि एक बार नक्शा पास होने के बाद कौन देखने आता है कि वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा है या फिर नहीं। बहुत सी बिल्डिंग ऐसी हैं, जहां वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना तो दूर की बात रही। अंडर ग्राउंड निर्माण करते हैं तो लाखों गैलेन पानी निकाला जाता है।

300 वर्ग मीटर से अधिक के एरिया में जितनी भी बिल्डिंगें बन रही हैं, उनमें रूफ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के बगैर नक्शा पास ही नहीं किया जा रहा है। कई पुरानी सरकारी भवनों पर भी वाटर हार्वेस्टिंग लगाया गया है। समय-समय पर जांच कराई जाती है कि वाटर हार्वेस्टिंग काम कर रहा है या नहीं।

गुडाकेश शर्मा

जनसम्पर्क अधिकारी

एडीए