- अधिकारियों की लापरवाही से वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर नहीं किया गया काम

- अब तक 16 अरब लीटर से ज्यादा पानी चुके बहा

आगरा। पूरा विश्व पानी को लेकर चिंतित है। इसका असर देश के कई हिस्सों में देखा जा रहा है। शहर में भी पूरे साल पानी को लेकर हाय-तौबा मची रहती है। इससे निपटने के लिए रैन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तैयार करके की रणनीति बनाई गई। इस सिस्टम से सिर्फ तीन महीने की पानी बचत करके किल्लत को खत्म किया जा सकता है। लेकिन जिला प्रशासन ने वाटर हार्वेस्टिंग के माध्यम से बचाने में संजीदगी नहीं दिखाई। जून-जुलाई दो महीनों में 357 मिमी से ज्यादा बारिश हो चुकी है। इन महीनों का पूरा पानी व्यर्थ बह गया है। जबकि इससे अरबों लीटर पानी संजोया जा सकता था।

सिर्फ कागजों में खानापूर्ति

शहर डार्क जोन में है। इसे बचाने के लिए रैन वॉटर हार्वेस्टिंग की मुहिम चलाकर बचाने की दिशा पर काम करना है। शहर पर नजर डालें तो लगभग 3 लाख मकान शहर में हैं। इसमें महज सरकारी और गिने-चुने मकानों में ही वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा हुआ है। सरकारी भवनों के सिस्टम रखरखाव के अभाव में बेकार हो रहे हैं। प्राइवेट भवनों की निगरानी के लिए भी सिर्फ कागजों में ही खानापूर्ति चल रही है। नतीजन जिला और जिम्मेदार प्रशासनिक विभागों ने भवनों में न तो वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने में सक्रियता बरती और नहीं सरकारी भवनों के लगे सिस्टमों के बेहतर काम करने पर ध्यान दिया। इसका परिणाम इस मानसून में भी देखने को मिल रहा है। शहर में जून से 30 जुलाई के बीच 357.2 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है। इस पानी को बचाने के कोई उपाय नहीं किए गए हैं। इसलिए इन दो महीनों में ही लगभग 34 अरब लीटर से ज्यादा पानी व्यर्थ में बह गया है। जबकि इस पानी को बचाकर शहर की लाखों लोगों की प्यास बुझाई जा सकती थी और भूगर्भ का स्तर भी बढ़ता।

आदेश कागजों तक सीमित

पानी की बचत को लेकर सरकारें कितनी संजीदा हैं। ये इसी से समझा जा सकता है कि प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने पद ग्रहण करते ही हर मकान में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद अधिकारी बेपरवाह हैं। वॉटर हार्वेस्टिंग को लेकर कागजों पर ही काम चल रहा है। सिस्टम लगाने पर न तो जोर दिया जा रहा है और नहीं मानिटरिंग के लिए टीम गठित की गई है।

तो मीठे पानी में बदल जाए

शहर में पानी किल्लत की समस्या है ही, साथ में खारा पानी सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। जानकारों का कहना है कि वाटर हार्वेस्टिंग से जमीन के लेवल का पानी बढ़ेगा। इससे पानी का खारापन कम होगा और मीठा पानी मिलने लगेगा।