छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : साकची स्थित जूनियर डॉक्टर हॉस्टल में नाली का पानी गुरुवार को घुस गया। इससे परेशानी हुई। इस दौरान जूनियर डॉक्टर हॉस्टल में ही जमे रहे। बाहर निकलने की सुविधा नहीं होने के कारण जूनियर डॉक्टरों में आक्रोश है। बुधवार को शहर में हुई भारी बारिश की वजह से हॉस्टल का ड्रेनेज सिस्टम जाम हो गया। इससे पानी बाहर न निकलकर हॉस्टल में ही ठहर जा रहा है। 48 घंटे से यह स्थिति बनी हुई है। इसी में नाली का पानी भी जा रहा है। इससे पूरे हॉस्टल में बदबू फैल गई है। बदबू से एक इंटर्न की तबीयत भी बिगड़ गई। बार-बार उल्टी होने पर उसे दवा दी गई। पूरे हॉस्टल में गंदगी का अंबार लगा हुआ है।

मच्छरों का भी प्रकोप

मच्छरों के बढ़ते प्रकोप से जूनियर डॉक्टर परेशान हैं। उनलोगों का कहना है कि पानी, साफ-सफाई और ड्रेनेज सिस्टम को लेकर कई बार अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा गया। इसके बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है।

न पीने का पानी न स्वच्छ वातावरण

हॉस्टल में न तो पीने योग्य पानी है और न ही स्वच्छ वातावरण। इससे मलेरिया, डेंगू, जापानी इंसेफ्लाइटिस जैसे बीमारी फैलने की आशंका बनी हुई है। बीते साल छह जूनियर डॉक्टरों को डेंगू हो गया था। इससे उनलोगों में भय बना हुआ है।

हर माह 25 हजार का खरीदते पानी

हॉस्टल में स्वच्छ पानी की सुविधा नहीं होने के जूनियर डॉक्टरों को बाहर से पानी खरीदना पड़ता है। हॉस्टल में करीब 54 डॉक्टर रहते हैं। एक डॉक्टर प्रतिमाह पानी पर 500 रुपये खर्च करता है। इस हिसाब से वे हर मार 25 हजार का पानी खरीदते हैं।

हर साल 50 लाख होते हैं खर्च

शहर में गैर कंपनी इलाकों में नाले की सफाई से लेकर निर्माण तक में अनियमितता बरती जाती है। इस वजह से ही हर साल सफाई होने के बाद भी शहर में जल भराव बड़े पैमाने पर होता है। सबसे खराब हालत मानगो की है। हर साल जनता शोर मचाती है लेकिन, इसके बाद भी शहर का ड्रेनेज सिस्टम ठीक नहीं होता। सफाई के नाम पर हर साल नगर निकाय 40 से 50 लाख रुपये तक खर्च कर देते हैं। लेकिन, दरअसल नाले साफ ही नहीं होते।