-कॉलेज से पढ़ाई के दौरान ही छांटते हैं युवा, खाद-पानी देकर करते हैं अपराध की फसल तैयार

-छात्रसंघ चुनाव के दौरान ही टटोली जाती है युवाओं की नब्ज

यूपी कॉलेज के छात्र नेता विवेक सिंह की हत्या जैसी वारदात यूं तो पहली दफा नहीं हुई है लेकिन कैंपस के अंदर घुसकर किसी छात्रनेता को मौत के घाट उतारे जाने की यह पहली घटना है। रिकॉर्ड भी कुछ ऐसे बोल रहे हैं कि कॉलेज-यूनिवर्सिटी में युवाओं को परखने के लिए माननीय के 'खास' यहां बराबर अपनी निगाह गड़ाए रहते हैं। विवेक की हत्या में नामजद यूपी कॉलेज का पूर्व छात्र नेता व चंदौली निवासी अनुपम नागवंशी के सिर पर भी पूर्वाचल के एक माननीय के खास गुर्गे का हाथ होना बताया जा रहा है। कॉलेज के ही एक छात्र पर फायरिंग का आरोपी रहा अनुपम दो माह पूर्व ही जेल से रिहा हुआ है। सूत्र बताते हैं जेल से बाहर निकलने के बाद अनुपम माननीय के खास से लगातार संपर्क में रहा। 14 माह सजा काटने के बाद जेल से बाहर आये अनुपम को खास ने अपना यह फरमान सुनाया था कि पहले ट्रायल दो फिर काम मिलता रहेगा। युवाओं की लंबी फौज रखने वाले इस खास पर माननीय की मेहरबानी भी अधिक बताई जा रही है। कुख्यात श्री प्रकाश शुक्ला पर बनी वेब सीरीज की मूवी 'रंगबाज' की तरह ही युवाओं को माननीय अपने गिरफ्त में ले रहे हैं।

प्रापर्टी से लेकर ठेकेदारी में रहे उतार

काशी विद्यापीठ, बीएचयू, यूपी कॉलेज व हरिश्चंद्र पीजी कॉलेज के छात्रों पर माननीय के खास की निगाह है। उन्हें ब्रांडेड शूज, मोबाइल और कपड़े दिलाकर अपने नेटवर्क में जोड़ लिया जा रहा है। माननीय का भौकाल और पुलिस का खौफ नहीं होने का असर यह होता है कि युवा कुछ भी गलत करने से नहीं हिचकते। पिछले दिनों लहरतारा स्थित डीआरएम ऑफिस परिसर में रेलवे का ठेका हथियाने के लिए माननीय के खास ने यूपी कॉलेज व विद्यापीठ के कुछ छात्रों को उतारा था। मारपीट, हवाई फायरिंग के बाद भी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई। चंद घंटे के लिए कुछ युवाओं को थाने में बैठाया गया लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। इसके पीछे दबाव माननीय का ही रहा। युवाओं को जमीन-मकान पर कब्जा करने, कई तरह की ठेकेदारी, बालू खनन आदि कार्यो में लगाया जा रहा है।

कानून तोड़ रहे हैं रंगबाज

माननीय अपने तो सामने आते नहीं हैं लेकिन उनके बाहरी कार्यो का बागडोर थामे 'खास' ऐसे युवाओं को तलाशते हैं जो जिगर से मजबूत होते हैं। छात्रसंघ चुनाव में फंड देने के साथ ही गाड़ी उपलब्ध कराने के पीछे मंशा यही होती है कि काम पड़ने पर युवा हमेशा साथ रहे। पूर्वाचल के आधा दर्जन ऐसे माननीय के खास हैं जो कॉलेज से युवाओं को छांट रहे हैं। कुछ जेल में बंद हैं तो कुछ बाहर रहकर अपने आका का आदेश पूरा करने के लिए कानून तक को हाथ में लेने से हिचक नहीं रहे हैं। रंगबाज मूवी में दिखाया गया है कि गोरखपुर के एक माननीय के इशारे पर कॉलेज से ही श्रीप्रकाश शुक्ला अपराध पर अपराध करता रहा।