क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ: रिम्स में इलाज के लिए आने वाले मरीज फिर से दौड़ लगाने को तैयार हो जाएं. चूंकि रिम्स के सेंट्रल कलेक्शन सेंटर का कांट्रैक्ट खत्म हो चुका है. ऐसे में एकबार फिर से मरीजों को ब्लड टेस्ट कराने के लिए दौड़ लगानी पड़ेगी. इतना ही नहीं, उनके शरीर में भी हर बार सैंपल के लिए पंक्चर किया जाएगा, जिससे कि मरीजों को परेशानी होगी सो अलग. इसके बावजूद रिम्स प्रबंधन ने सेंटर के संचालन को लेकर कोई तैयारी नहीं की है. ऐसे में सवाल उठता है कि प्रबंधन किसी सर्विस को चालू करने के बाद उसे रेगुलर क्यों नहीं कर पाता है?

ग्राउंड से फोर्थ फ्लोर तक दौड़

दो साल पहले रिम्स में सेंट्रल कलेक्शन की शुरुआत की गई थी, जिसका उद्देश्य मरीजों को सैंपल देने के लिए अलग-अलग विभागों की दौड़ लगाने से बचाना था. वहीं, एक जगह सैंपल कलेक्ट कर सभी विभागों को भेज दिया जाता था. इससे मरीजों को भटकना नहीं पड़ता था. लेकिन सेंटर बंद हो जाने से मरीजों को पहले की तरह ही ग्राउंड फ्लोर से लेकर फोर्थ फ्लोर तक दौड़ लगानी होगी.

बॉडी में पंक्चर से बढ़ेगा दर्द

सेंट्रल कलेक्शन सेंटर में सैंपल लेने के लिए एक बार ही शरीर में पंक्चर किया जाता था. लेकिन सेंटर के बंद हो जाने से मरीजों का दर्द और बढ़ जाएगा. जब सैंपल के लिए उनके शरीर में आधा दर्जन पंक्चर किए जाएंगे. वहीं विभागों के चक्कर लगाने में ही उनका दिन निकल जाएगा और डॉक्टर से अपनी रिपोर्ट भी नहीं दिखा सकेंगे.

300 मरीजों की हर दिन होती है टेस्ट

ओपीडी में 1500 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं. इसमें से लगभग 300 मरीजों को टेस्ट कराने की डॉक्टर एडवाइस देते हैं. अब इन मरीजों को कलेक्शन के लिए इंतजार करना पड़ेगा. वहीं सैंपल कलेक्शन के बाद रिपोर्ट भी तुरंत नहीं मिलेगी. इससे इलाज के लिए भी मरीजों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ेगा.