-सीसीटीएनएस और डिस्ट्रिक्ट के डाटा में अंतर की संभावना

-एडीजी टेक्निकल सर्विसेस ने सभी जिलों के डाटा मिलान के दिए निर्देश

<-सीसीटीएनएस और डिस्ट्रिक्ट के डाटा में अंतर की संभावना

-एडीजी टेक्निकल सर्विसेस ने सभी जिलों के डाटा मिलान के दिए निर्देश

BAREILLY: BAREILLY: अक्सर गुमशुदा लोगों का रिकॉर्ड दर्ज करने में पुलिस लापरवाही करती है, जिसकी वजह गुमशुदा को तलाशने में भी दिक्कत आती है। सीसीटीएनएस पोर्टल पर पूरे प्रदेश का रिकॉर्ड ऑनलाइन है, जो जिलों में मौजूद रिकॉर्ड से अलग है। रिकॉर्ड अलग होने की संभावना को देखते हुए ही एडीजी टेक्निकल सर्विसेस ने सभी जिलों से डाटा फीड कर रिकॉर्ड ठीक करने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि जब डाटा ही ठीक नहीं है तो फिर गुमशुदा की तलाश पुलिस कैसे करेगी।

तो क्या इसलिए डाटा में गड़बड़ी

सीसीटीएनएस पोर्टल पर प्रदेश के सभी जगहों से डाटा फीड किया जाता है। इसमें डिस्ट्रिक्ट के थानों के साथ जीआरपी के थानों का भी डाटा फीड किया जाता है, लेकिन देखने में आता है कि जीआरपी का रिकॉर्ड डिस्ट्रिक्ट के रिकॉर्ड में फीड नहीं किया जाता है। जिसकी वजह से पोर्टल पर डाटा अलग दिखाता है। यही वजह है कि सभी जिलों को गुमशुदा का डाटा फीड करने के निर्देश दिए गए हैं। जिसके साथ साफ कहा गया कि जीआरपी का भी डाटा साथ में ही फीड किया जाएगा। जीआरपी के थानों को इस संबंध में कहा गया है कि वह अपना डाटा संबंधित जनपद को उपलब्ध करा दें। एडीजी टेक्निकल सर्विसेस ने तीन दिन में सभी रिकॉर्ड सही करने के निर्देश ि1दए हैं।

अज्ञात शवों का भी रिकॉर्ड

गुमशुदा के साथ-साथ अज्ञात शवों का भी रिकॉर्ड फीड किया जाना है। रिकॉर्ड का मिलान किस तरह से करना है, इसके साथ सीसीटीएन पोर्टल पर फीड तीन महीने अप्रैल, मई और जून का रिकॉर्ड भेजा गया है। इन तीन महीनों में पूरे प्रदेश के रिकॉर्ड की बात करें तो भ्फ्फ्फ् लोग गुमशुदा हैं और ब्ब्9 लोगों की डेड बॉडी मिली है। इस रिकॉर्ड के तहत ही सभी 7भ् जिलों का अलग-अलग रिकॉर्ड भी भेजा गया है। कई जिलों का तो अज्ञात शवों का रिकॉर्ड शून्य है, जिस पर भी कहीं न कहीं संदेह जाता है।

ऐसे होती है गड़बड़ी

जब भी कोई शख्स लापता होता है तो वह थाने में शिकायत लेकर पहुंचता है। बच्चों के मामले में तो पुलिस थोड़ी गंभीरता दिखाती है लेकिन व्यस्कों के मामले में पुलिस लापरवाही बरतनी शुरू कर देती है। पुलिस पहले तो परिजनों को तलाशने के बहाने घुमा देते हैं। उसके बाद कुछ लोगों के गुमशुदगी दर्ज कर ली जाती है लेकिन कई मामलों में फोटोग्राफ ही नहीं लिए जाते हैं। इस रिकॉर्ड को ऑनलाइन फीड किया जाता है। डीसीआरबी से भी रिकॉर्ड फीड किया जाता है लेकिन पूरी डिटेल न होने से ऑनलाइन भी समय से रिकॉर्ड फीड नहीं होता है।

बरेली जोन के जिलों का रिकॉर्ड

गुमशुदा लोगों का रिकॉर्ड

डिस्ट्रिक्ट अप्रैल मई जून

बरेली 78 70 भ्फ्

पीलीभीत क्भ् ख्ब् क्8

बदायूं 0क् ख्8 क्फ्

शाहजहांपुर क्7 क्7 ख्फ्

मुरादाबाद फ्8 फ्म् फ्0

रामपुर 0फ् ख्फ् ख्0

बिजनौर ख्7 फ्0 ख्0

ज्योतिबाफुले नगर क्ब् 8 ख्क्

संभल क्क् क्8 क्क्

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टोटल ख्0ब् ख्भ्ब् ख्09

अज्ञात शवों का रिकॉर्ड

डिस्ट्रिक्ट अप्रैल मई जून

बरेली फ्क् 0भ् 0क्

पीलीभीत 00 00 00

बदायूं 00 00 00

शाहजहांपुर 00 0क् 0फ्

मुरादाबाद 0ख् 00 0क्

रामपुर 00 0क् 0फ्

बिजनौर 0क् 0क् 00

ज्योतिबाफुले नगर 00 00 00

संभल 00 00 0क्

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टोटल फ्ब् 08 09

वर्ष ख्0क्8 में प्रदेश का रिकॉर्ड

मंथ मिसिंग पर्सन अननोन डेडबॉडी

अप्रैल क्म्0म् क्भ्म्

मई क्म्क्ब् 77

जून ख्क्क्फ् ख्क्म्

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टोटल भ्फ्फ्फ् ब्ब्9