RANCHI : रिम्स में इलाज के लिए आने वाले गंभीर मरीजों को सुपरस्पेशियलिटी सुविधाओं के लिए थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा। 64 करोड़ की लागत से सुपरस्पेशियलिटी सुविधाओं से लैस रिम्स ट्रामा और इमरजेंसी को चालू होने में दो महीने का समय और लगेगा। मैनपावर की कमी को दूर करने का प्रस्ताव फिलहाल विभाग में मंजूरी का इंतजार कर कर रहा है। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग फाइल को बार-बार लौटा दे रहा रहा है। अगर यहीं स्थिति रही तो सेंटर को चालू होने में लंबा समय लग सकता है।

मरीजों की अलग कैटेगरी

गौरतलब है कि इंटरनेशनल लेवल के इस सेंटर में चोट के हिसाब से मरीजों की कैटेगरी तय की जाएगी। उनके जख्म के हिसाब से रेड, येलो और ग्रीन पट्टी से मार्क किया जाएगा। सबसे गंभीर मरीज के बेड में रेड, कम गंभीर मरीज के बेड पर येलो और मामूली रूप से गंभीर मरीज के बेड पर ग्रीन स्टीकर लगे होंगे। इसके आधार पर ही मरीजों का इलाज किया जाएगा।

ठीक होने पर वार्ड में शिफ्ट

गंभीर मरीजों को पहले ट्रामा सेंटर में एडमिट कर इलाज किया जाएगा। वहां से स्थिति ठीक होने के बाद उन्हें संबंधित वार्ड में भेज दिया जाएगा। मरीजों को वार्ड में भेजने के लिए ओवरब्रिज भी बनाया गया है। ब्रिज का काम भी पूरा हो चुका है।

140 बेड है ट्रामा सेंटर में

सुपरस्पेशियलिटी सुविधाओं से लैस इस ट्रॉमा सेंटर में 140 बेड होंगे। जिसके लिए 526 डॉक्टरों और स्टाफ्स की जरूरत थी। जिन्हें 24 घंटे मरीजों की सेवा के लिए तैनात किया जाना था। लेकिन, धीरे-धीरे मैनपावर कम करने के लिए फाइल को कई बार रिम्स को लौटा दिया गया।

सेंटर में टीचिंग-ट्रेनिंग की है व्यवस्था

सेंटर में टीचिंग-ट्रेनिंग की भी व्यवस्था है। ऐसे में सेंटर के डॉक्टरों को एम्स ट्रेनिंग के लिए भेजा जाएगा। ट्रेनिंग के बाद डॉक्टर और स्टाफ्स सिटी के डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटलों के डॉक्टर व स्टाफ्स को जानकारी देंगे। जिससे कि ट्रामा के मरीजों को बेहतर प्राइमरी ट्रीटमेंट मिल सकेगा।