RANCHI: नेशनल हेल्थ मिशन(एनएचएम) ने रिम्स के तीन करोड़ के अलावा अन्य हॉस्पिटलों के करोड़ों का फंड रोक दिया है, जबकि यह फंड हीमोफीलिया मरीजों की दवा खरीदने के लिए है। इसके लिए कई बार हीमोफीलिया सोसायटी ने एनएचएम को पत्र लिखकर फंड रिलीज करने की रिक्वेस्ट भी की। लेकिन एनएचएम के अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब मरीजों को फैक्टर मिलना बंद हो जाएगा तब फंड जारी किया जाएगा क्या? गौरतलब हो कि हीमोफीलिया के मरीजों को तत्काल इलाज की जरूरत पड़ती है। तत्काल मरीजों को फैक्टर नहीं मिलने पर उनकी जान भी जा सकती है।

फैक्टर महंगा, सरकार देती है फंड

रिम्स में इलाज के लिए हर जगह से काफी संख्या में मरीज आते हैं। वहीं गंभीर स्थिति में भी मरीजों को इलाज के लिए रिम्स ही लाया जाता है। ऐसे में मरीजों को तत्काल उनकी डिमांड के हिसाब से फैक्टर चढ़ाया जाता है। फैक्टर महंगा होने के कारण इसके लिए सरकार नेशनल हेल्थ मिशन के तहत फंड देती है, ताकि मरीजों का इलाज किसी भी हाल में प्रभावित न हो। इसके बावजूद फंड जारी नहीं किया जाना चिंता का विषय है। बताते चलें कि फैक्टर सप्लाई करने वाली एजेंसी ने एक करोड़ बकाया होने के बाद फैक्टर सप्लाई बंद करने की बात कही थी।

सदर हॉस्पिटल में चालू नहीं हो पा रहा सेंटर

सुपरस्पेशियलिटी सदर हॉस्पिटल में डे केयर यूनिट में ही हीमोफीलिया के मरीजों का इलाज किया जाएगा। जहां इलाज के लिए आने वाले मरीजों को फैक्टर व दवाएं मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएंगी। लेकिन एनएचएम से फंड नहीं दिए जाने के कारण सेंटर चालू नहीं हो पा रहा है। ऐसे में मरीजों को इलाज के लिए रिम्स में जाना पड़ रहा है। वहीं रिम्स में भीड़ अधिक होने के कारण मरीजों को काफी परेशानी भी हो रही है।

किस हॉस्पिटल को मिलना है फंड

संस्थान मरीज फंड

रिम्स 334 3 करोड़

सदर हॉस्पिटल 40 50 लाख

जमशेदपुर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल 60 60 लाख

पीएमसीएच, धनबाद 40 40 लाख

गिरिडीह डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल 60 50 लाख

दुमका डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल 20 25 लाख

वर्जन

सेंट्रल गवर्नमेंट ने फंड भेज दिया है। इसके बाद भी एनएचएम के अधिकारी मनमानी कर रहे हैं। फंड भेज दिया जाता तो रिम्स के अलावा अन्य सेंटरों में भी मरीजों का इलाज प्रभावित नहीं होता। रिम्स में काफी मरीज आते हैं। वहीं सदर में हमें नया सेंटर शुरू करना है। इसके अलावा जमशेदपुर, दुमका, धनबाद और गिरिडीह में भी हीमोफीलिया मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है।

-संतोष जायसवाल, सेक्रेटरी, हीमोफीलिया सोसायटी