आयु सीमा पूरी करने वाली बसों का रोडवेज कर रहा बीमा

थर्ड पार्टी बीमे के लिए सिटी ट्रांसपोर्ट ने मांगी निविदाएं

Meerut । शहर की सड़कों पर फर्राटा भर रही सिटी बसें अब यात्रियों के लिए जानलेवा साबित होने लगी हैं। पिछले छह माह में सिटी बसों से हुए आधा दर्जन हादसों में कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, लेकिन आश्चर्य यह कि सिटी ट्रांसपोर्ट के अधिकारियों को सिटी बसों का संचालन शुरु होने के तकरीबन 9 साल बाद बसों के बीमे की याद आई है। अंतिम साल में चल रही इन बसों के थर्ड पार्टी बीमे के लिए सिटी ट्रांसपोर्ट ने टेंडर जारी कर 12 नवंबर तक निविदाएं मांगी हैं। रोडवेज के एआरएम अनिल अग्रवाल ने बताया कि अभी नियुक्ति हुई है इसलिए इन बसों के बीमे के विषय में जानकारी नही है।

बसों की हालत खस्ता

गौरतलब है कि साल 2009 में महानगर सिटी बस सेवा के तरह करीब 122 कमल, लो फ्लोर और मिनी सिटी बसों का संचालन शुरू किया गया था। इनके 10 साल के संचालन की अवधि 2019 में पूरी हो रही है। अपनी मियाद के अंतिम दौर में चल रही अधिकतर बसों की हालत इस कदर खस्ता हो चुकी है कि बसें अब बीच सफर में ही दम तोड़ देती हैं। इससे अलग कई बसों के टायर फटने, समय से ब्रेक ना लगने व कंट्रोल ना हो पाने के कारण हादसे तक हो रहे हैं।

बढ़ी क्लेम की संख्या

सूत्रों की मानें तो 2009 में संचालित होना शुरु हुई इन सिटी बसों का पिछले 9 साल से बीमा नहीं कराया गया। बिना बीमे के ही बसें शहर की सड़कों पर फर्राटा भर रही हैं। ऐसे में बसों से होने वाले हादसों के क्लेम का भुगतान रोडवेज के लिए भारी परेशानी का सबब बन गया है। हाल ही में रोडवेज ने एक हादसे में 80 लाख रुपए का क्लेम रिलीज किया। इसके अलावा करीब सवा करोड़ रुपए के क्लेम पेंडिंग चल रहे हैं। इस क्लेम से बचने के लिए रोडवेज को अब आखिरी साल में बसों के बीमे की याद आई है। इस क्रम में गत सप्ताह सिटी ट्रांसपोर्ट द्वारा 118 सिटी बसों के थर्ड पार्टी बीमे के लिए ई टेंडरिंग के माध्यम से निविदाएं मांगी गई हैं।

हाल ही में हुए हादसे

15 मार्च- सरधना

करनाल मार्ग पर सिटी बस पलटने से हुए हादसे में चालक परिचालक की मौत, आधा दर्जन हुए थे घायल

25 मार्च-

लो फ्लोर और ट्रक की टक्कर, बाइक सवार की मौत

18 अक्टूबर-

रेलवे कॉलोनी में दीवार तोड़कर घुसी मिनी सिटी बस