-रोडवेज ग्रामीण डिपो में मचा हड़कंप, सालों पुराने करप्शन के केस में हुई सभी पर कार्रवाई

-बिना टिकट यात्रियों को सफर कराने में पकडे़ गए थे, बर्खास्तगी के भय से राइट टाइम हुए कंडक्टर्स-ड्राइवर

रोडवेज बसों में डब्ल्यूटी (विदाउट टिकट) पैसेंजर्स को सफर कराने वाले चालकों-परिचालकों पर विभाग की भृकुटी तन गई है। सात साल पुराने ऐसे ही केस में ग्रामीण डिपो के ग्यारह परिचालकों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। ग्रामीण डिपो में अब तक की सबसे बड़ी विभागीय कार्रवाई से चालकों-परिचालकों में हड़कंप की स्थिति है। ग्रामीण डिपो के नवागत एआरएम हरे कृष्ण मिश्रा के कमान संभालने के बाद लंबित पडे़ भ्रष्टाचार के मामले को अंजाम तक पहुंचा दिया गया। बर्खास्तगी के खौफ का असर रोडवेज ग्रामीण डिपो को यह हुआ कि सब काम के प्रति गंभीर हो गये हैं। नतीजा है कि जो इनकम नौ-दस लाख रोजाना की होती थी, अब वहीं इनकम 14-15 लाख रुपये रोजाना हो रही।

तैयार हो रही कुंडली

रोडवेज को चपत लगाने वाले कर्मचारियों की कुंडली तैयार हो रही है। इसमें चालक-परिचालक से लेकर कार्यालय में जमे कुछ स्टाफ भी शामिल हैं। ग्रामीण डिपो में हुए पुराने व नए केस की बारीकी से जांच पड़ताल शुरू हो गई है। धूल धूसरित फाइलें भी आलमारी से निकलकर एआरएम रूम तक पहुंच गई हैं। जांच-पड़ताल के बाद विभागीय कार्रवाई से इनकार नहीं किया जा सकता।

पांच डब्ल्यूटी पर है बर्खास्तगी

रोडवेज हेडक्वार्टर से 2012 में आदेश पारित हुआ है कि पांच डब्ल्यूटी पाए जाने पर परिचालकों पर बर्खास्तगी की कार्रवाई की जाए। मगर, पूर्व में जमे अधिकारियों की रहम करम पर भ्रष्टाचार केस की फाइल आलमारी में बंद पड़ी थी। छह-सात साल के बाद भी आरोपियों पर कार्रवाई नहीं हुई थी। रोडवेज ग्रामीण डिपो में भ्रष्टाचार रोकने के लिए एआरएम हरे कृष्ण मिश्रा खुद बसों की सवारी करेंगे। चुपके से बस में सवार होकर डब्ल्यूटी के खेल को फेल करेंगे।

सालों पुराने भ्रष्टाचार के केस में संविदा पर तैनात 11 परिचालकों पर कार्रवाई की गई। इन पर दस से पंद्रह डब्ल्यूटी का केस दर्ज था। अन्य कर्मचारियों की भी कुंडली खंगाली जा रही है।

हरे कृष्ण मिश्रा, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक

ग्रामीण डिपो