- समाज कल्याण विभाग से आया यूनिवर्सिटी को निर्देश

- छात्रवृत्ति फॉर्म भरने के बाद यूनिवर्सिटी करेगी डिसाइड

- स्टूडेंट्स के खाते में सीधे पैसे पहुंचेंगे तो मिलेंगी फीस

- फीस नहीं देने पर रिजल्ट रोकने के आदेश, होगी गड़बड़ी

- यूनिवर्सिटी का फिर लेट होगा रिजल्ट, भर चुके हैं फॉर्म

Meerut: सूबे की सरकार के एक आदेश से यूनिवर्सिटी और संबद्ध कॉलेजों में पढ़ने वाले लाखों स्टूडेंट्स के सामने समस्या खड़ी होने जा रही है। प्रमुख सचिव की ओर से दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत जीरो फीस पर एडमिशन पाने वाले स्टूडेंट्स का परीक्षा आवेदन बिना परीक्षा शुल्क के यूनिवर्सिटी द्वारा स्वीकार किए जाने के संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं, जिसके अनुसार यूनिवर्सिटी काम करती है तो लाखों बच्चों को नुकसान के झेलना पड़ेगा। इसको लेकर यूनिवर्सिटी असमंजस में आ गई है, अब वह क्या करें?

यूनिवर्सिटी का सीन

सीसीएस यूनिवर्सिटी से नौ जिलों में म्78 कॉलेज संबद्ध हैं। जिनमें करीब चार लाख 90 हजार स्टूडेंट्स पढ़ते हैं। इन सभी स्टूडेंट्स को संभालना इतना आसान नहीं है और ऊपर से सरकार के नए आदेश यूनिवर्सिटी को रुला रहे हैं। पिछले महीने यूपी की प्रमुख सचिव कल्पना अवस्थी की ओर से सूबे की सभी यूनिवर्सिटीज को एक आदेश जारी किया गया। यह आदेश सेशन ख्0क्ब्-क्भ् के एससी व एसटी के छात्रों के लिए जारी किया गया। जिसके अनुसार एससी, एसटी के स्टूडेंट्स को दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत जीरो फीस पर दाखिला प्राप्त स्टूडेंट्स का एग्जाम फॉर्म बिना एग्जाम फीस भरवाया जाएगा।

यह होगी प्रक्रिया

शासन से समाज कल्याण विभाग के जरिए यूनिवर्सिटी पहुंचे एक लेटर ने यूनिवर्सिटी की हार्ट बीट बढ़ा दी, जिसमें कहा गया है कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश सात नवंबर ख्0क्ब् के अनुपालन में विचारोपरान्त शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि सेशन ख्0क्ब्-क्भ् में जीरो फीस पर जिन एससी व एसटी दशमोत्तर स्टूडेंट्स का दाखिला संबंधित शिक्षण संस्थाओं द्वारा किया गया है। उनके परीक्षा आवेदन पत्र संबंधित यूनिवर्सिटीज व परीक्षा बोर्डो द्वारा बिना परीक्षा शुल्क स्वीकार किया जाए। उन्हें परीक्षा में बैठने से वंचित ना किया जाए।

ऐसे वसूली जाएगी फीस

शासन के अनुसार पात्र एससी व एसटी छात्र को दशमोत्तर शुल्क प्रतिपूर्ति छात्र के बैंक खाते में प्राप्त होने पर संबंधित शिक्षण संस्थान डेबिट ऑथोरिटी को तत्काल भुगतान करना सुनिश्चित करेंगे ताकि यूनिवर्सिटी द्वारा परीक्षा फल घोषित किया जा सके। एससी, एसटी दशमोत्तर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति हेतु निर्धारित प्रक्रिया के किसी स्तर पर अपात्र पाए जाने पर संबंधित छात्र से शिक्षण संस्थान परीक्षा शुल्क वसूल कर यूनिवर्सिटी परीक्षा बोर्ड को उपलब्ध कराएगा। अगर ऐसे स्टूडेंट्स से फीस नहीं वसूली जा सके तो उसका रिजल्ट घोषित नहीं किया जाएगा।

यहां आएगी दिक्कतें

सीसीएस यूनिवर्सिटी की बात करें तो यहां करीब ब्.9 लाख स्टूडेंट्स संबद्ध कॉलेजों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, जिनका एग्जाम कराने में करीब बीस करोड़ रुपए से ऊपर का खर्चा आता है। जिसके लिए एग्जाम मैटेरियल, एग्जाम, फिर मूल्यांकन और रिजल्ट घोषित होता है। अगर यूनिवर्सिटी इन सभी स्टूडेंट्स के खाते से फीस बटोरने लगी तो कई बड़ी दिक्कतें होंगी। अगर समाज कल्याण से पैसे रिलीज नहीं होंगे तो इन सभी का रिजल्ट रोका जा सकता है, जिसके साथ बाकी का रिजल्ट भी घोषित होना संभव नहीं होगा। फिर दिक्कतें आएंगी, धरने और प्रदर्शन होंगे। रिजल्ट घोषित करने के लिए फीस वसूलनी जरूरी होगी।

लेट आया लेटर

यूनिवर्सिटी प्रशासन की मानें तो यह लेटर पहले ही लेट आया है, जिसके अनुसार पहले ही दशमोत्तर छात्रवृत्ति के लिए फॉर्म भरे जा चुके हैं, जिनमें काफी स्टूडेंट्स छूट गए। जिनके एडमिशन जीरो शुल्क पर हुए हैं। इनके साथ ही अभी दशमोत्तर छात्रवृत्ति के लिए फॉर्म भरने वालों की जांच होनी है। ऐसे में यह लेटर तब आया जब यूनिवर्सिटी ने कई काम कंप्लीट कर लिए। ऐसे में आने वाले समय में दिक्कतें घटने के बजाय बढ़ने वाली हैं। रिजल्ट लेट होंगे तो एडमिशन प्रक्रिया लेट होगी, जिससे यूनिवर्सिटी फिर पीछे पहुंच जाएगी और समय पर कुछ भी नहीं हो पाएगा, जबकि पहले ही यूनिवर्सिटी का शैक्षिक कैलेंडर पूरी तरह से बेकार हो चुका है।

इससे यूनिवर्सिटी को नुकसान झेलना पड़ेगा, जिसका खामियाजा लाखों स्टूडेंट्स को उठाना पड़ेगा। जबकि यह तो पहले ही हो जाना चाहिए था। लाखों स्टूडेंट्स को संभालना इतना आसान नहीं है।

- एचएस सिंह, प्रो वीसी, सीसीएस यूनिवर्सिटी मेरठ