चौतरफ़ा नकारात्मक रुझान और मुद्रा  बाजार में फिलहाल भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप नहीं करने की नीति के चलते मंगलवार को बाज़ार खुलते ही रुपया औंधे मुँह गिरकर 64 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया.

इस दौरान रुपये की  कीमत में करीब 1.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जबकि पिछले छह दिनों में रुपये की कीमत करीब पांच प्रतिशत गिर चुकी हैं.

कच्चे तेल की कीमतों में करीब एक प्रतिशत की तेज़ी ने बाजार पर अतिरिक्त दबाव बनाने का काम किया.

इसके चलते चौतरफ़ा बिकवाली के माहौल में शुरुआती कारोबार के दौरान सेंसेक्स में 300 से अधिक अंकों और निफ़्टी में 100 अंकों से अधिक की गिरावट देखी गई, हालांकि बाद में बाज़ार में थोड़ा सुधार देखा गया.

इस दौरान सबसे अधिक दबाव बैंकिंग और ऑटो क्षेत्र पर देखने को मिला. मेटल शेयरों ने बाजार को थोड़ा समर्थन देने की कोशिश की, लेकिन वो नाकाफी रहा.

ब्याज दरों में वृद्धि

रुपये ने छुआ 64 का स्तर,बाज़ार में अमंगल जारीप्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का मानना है कि भारत के सामने 1991 के संकट जैसे हालात नहीं हैं.

इस बीच सरकार के 10 वर्षीय बांड्स पर ब्याज की दर बढ़कर 9.47 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई. यह आंकड़ा पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक है.

इसका अर्थ है कि सरकार को घरेलू  बाज़ार से कर्ज़ लेना हो तो उसके लिए 9.5 प्रतिशत की दर से ब्याज चुकाना होगा.

इसका यह अर्थ भी है कि सरकार को कर्ज़ देने पर लोगों का भरोसा घट रहा है. इस हालात में सरकार के लिए चालू खाता घाटे को पाटना काफी मुश्किल साबित होगा.

बॉंड पर ब्याज की दर बढ़ने का सीधा असर बैंकिंग शेयरों में गिरावट के रूप में देखने को मिला.

इससे पहले सोमवार को सेंसेक्स 290.66 अंक गिरकर 18307.52 के स्तर पर बंद हुआ था. इसी तरह निफ़्टी में 93.10 अंकों की गिरावट दर्ज की गई और यह 5414.75 पर बंद हुआ.

बीते 14 अगस्त को भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपये की क़ीमत में जारी गिरावट को थामने के लिए विदेशों में भारतीय कंपनियों के निवेश को हतोत्साहित करने सहित कई कड़े कदमों की घोषणा की थी. हालांकि इन कदमों का कोई ख़ास असर होता नहीं दिख रहा है.

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