मार्केट पर पड़ा असर
RBI के द्विमाही मौद्रिक नीति की समीक्षा में यथास्िथति को बनाये रखने की वजह से मंगलवार को भी मार्केट में इसका असर देखा गया था. हालांकि शेयर मार्केट में आज हल्की गिरावट देखी जा रही है. आखिर डॉलर के मुकाबले रुपये में इतनी गिरावट क्यों हो रही है. आइये जानते हैं वो रीजन्स...

रिस्क एवर्जन का असर:
यूक्रेन में बढ़े जियो-पॉलिटिकल तनाव की वजह से दुनियाभर की मार्केट्स में रिस्क एवर्जन का असर देखा गया है. जिससे एशियाई बाजारों में गिरावट देखी गई. इंडियन शेयर मार्केट भी कमोबेश उसी राह पर चल पड़ा है. इसीलिए विदेशी संस्थागत निवेशक जो इंडियन शेयर मार्केट में निवेश किए थे, अब वे अपने निवेश को समेटने लगे हैं. जिससे डॉलर की मांग बढ़ रही है जिसका असर रुपये पर देखा जा रहा है.

डॉलर में खासी मजबूती:
रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर एशियाई मुद्राओं में डॉलर के मुकाबले कमजोरी देखी जा रही है. जिसकी वजह से इसमें पूरी एशियाई मुद्राओं के मुकाबले ही मजबूती देखी जा रही है. इसके साथ जबरदस्त ऑकड़ों से यूएस अर्थव्यस्था में मिल रहे सुधार के संकेतों का भी असर डॉलर पर देखा जा रहा है.

सरकारी बैंकों में डॉलर की मांग बढ़ी:
रुपये में कमजोरी से सरकारी बैंकों में डॉलर की मांग में बढ़ोतरी हो रही है. हालांकि मीडिया में आई खबरों के मुताबिक रूपये की कमजोरी को रोकने के लिए बुधवार को ही सेंट्रल बैंक ने डॉलर की बिक्री की है. हालांकि, ज्यादा उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए RBI फॉरेक्स मार्केट में हस्तक्षेप करता है.

ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद:
मौद्रिक नीति की समीक्षा के दौरान RBI के गवर्नर ने यह संकेत दिया कि RBI अब जरूरत से ज्यादा हाई इंट्रेस्ट रेट्स को नहीं बनाए रख पाएगा. जिससे यह संभावना बढ़ गई कि इन्फ्लेशन में गिरावट के साथ इंट्रेस्ट रेट में भी कटौती संभव है. इस तरह से इंडिया में इंट्रेस्ट रेट्स में कटौती की संभावना और अमेरिका में इंट्रेस्ट रेट्स में बढ़ोतरी होने की संभावना से निवेशक भारत में निवेश कम करके अमेरिका में निवेश बढ़ा सकते हैं. जो विदेशी निवेशकों के लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकता है. विदेशी संस्थागत निवेशक जब इक्विटी से पैसे निकालते हैं तो डॉलर की मांग बढ़ती है जिससे रुपये पर दबाव बढ़ता है.

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