ट्रस्ट के तीन सदस्यों ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि ज़ब्त की हुई राशि का ट्रस्ट से कोई संबंध नहीं है बल्कि यह पैसा साईं बाबा के कुछ भक्तों ने साईं बाबा की महासमाधि के निर्माण के लिए दान किया था। इन तीन सदस्यों में वी श्रीनिवासन और आरजे रत्नाकर भी थे, जिनसे इस मामले में पुलिस पूछताछ कर चुकी है।

श्रीनिवासन, रत्नाकर और नागानंद ने कहा कि ट्रस्ट धार्मिक संगठन नहीं, बल्कि एक सेवा संगठन है इसलिए वो अपने साधन से समाधि बनाने जैसा काम नहीं कर सकती। इसलिए उसने भक्तों से अनुरोध किया था की वो इसके लिए पैसा दान करें। इस पर कुछ भक्तों ने 35 लाख रुपए की राशि रत्नाकर को दी थी। और यह पैसा बंगलौर स्थित एक कंपनी शंकर नारायण कंसल्टेंसी को भिजवाया जा रहा था जब पुलिस ने रास्ते में रोककर उसे ज़ब्त कर लिया।

विवरण

श्रीनिवासन ने कहा कि इसमें कोई अपराध नहीं किया गया है और इसका ट्रस्ट से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि जिन भक्तों ने यह पैसा दान किया था, वो पहले ही अदालत में हलफ़नामा दाखिल कर चुके हैं और उसका विवरण दे चुके हैं। ट्रस्ट के सदस्यों ने कहा कि अगर ट्रस्ट समाधि के निर्माण जैसे किसी काम पर अपना पैसा ख़र्च करता है तो वो क़ानून का उल्लंघन होगा क्योंकि यह पैसा सेवा के कामों के लिए है।

ट्रस्ट के सदस्यों ने दो घंटे लंबे प्रेस कॉन्फ़्रेंस में अपना पूरा ज़ोर इसी बात पर लगाया कि ट्रस्ट के अंदर कोई अनियमितताएँ नहीं हुई हैं और सब हिसाब किताब बराबर है।

साईं बाबा की संपत्ति

लेकिन साईं बाबा के निवास स्थान यजुर्वेद मंदिर से जो 11 करोड़ की राशि, सोना, चांदी और दूसरी बहुमूल्य चीज़ें मिली हैं, उस पर श्रीनिवासन कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। उन्होंने कहा कि यह सारी चीज़ें बाबा ने अपने जीवन में ही अपने भक्तों से भेंट में ली थी। उन्होंने नकद राशि क्यों ली-इसका जवाब वही दे सकते थे।

श्रीनिवासन ने कहा कि बाबा के समाधि लेने के बाद ही ट्रस्ट के सदस्यों ने यजुर्वेद मंदिर के दरवाज़े खोले और तब ही उन्हें वहाँ रखी संपत्ति का पता चला। उससे पहले उन्हें इस बारे में कुछ मालूम नहीं था। उन्होंने कहा की वहां जो कुछ मिला, उसकी सूची तैयार की गई, उसे बैंक में जमा कराया गया और उस पर 9.75 करोड़ का आयकर भी अदा कर दिया गया।

ट्रस्ट के वित्तीय मामलों में किसी उलटफेर के आरोपों का खंडन करते हुए उन्होंने कहा कि यह सब निराधार आरोप हैं। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट के सारे सदस्य ईमानदार लोग हैं, जिनका चयन स्वयं साईं बाबा ने किया था।

विश्वासघात

उन्होंने कहा कि अगर वो आरोपों के डर से त्यागपत्र देकर चले जाएँ तो यह बाबा के साथ विश्वासघात होगा। ट्रस्ट ने यह स्पष्टीकरण राज्य सरकार की ओर से नोटिस दिए जाने के एक दिन बाद दिया है। इस नोटिस में सरकार ने ट्रस्ट से कहा है कि वो अपने तमाम वित्तीय लेन-देन, टैक्स और दूसरे मामलों का पूर ब्यौरा 10 दिनों के अंदर पेश करे।

एक ओर ट्रस्ट सदस्य नागानंद ने कहा कि ट्रस्ट सरकार को जल्द ही जवाब दे देगा और वो इस पूरे ब्यौरे को सार्वजनिक करने पर भी विचार कर रहा है। लेकिन इधर अनंतपुर ज़िले की पुलिस अब भी यही कह रही है कि जो नकद राशि ज़ब्त की गई है, वो यजुर्वेद मंदिर में मिली संपत्ति का हिस्सा है।

ज़िले के पुलिस प्रमुख शाहनवाज़ कासिम ने कहा कि अब तक जो पूछताछ की गई है, उससे यह बात सिद्ध होती है कि यह पैसा यजुर्वेद मंदिर से ही आया था। उन्होंने कहा कि जिन भक्तों ने दावा किया है कि यह उनका पैसा है, उनसे भी पुलिस बुधवार से पूछताछ करेगी।

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