- एलडीए ने कॉलेज के विस्तार के लिये दी थी 21 बीघा जमीन

- बेची जमीन पर खुल गया प्राइवेट स्कूल, बन गया सेनेट्री गोदाम

- डीआईओएस की जांच में हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा, प्रिंसिपल ने दर्ज कराई एफआईआर

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LUCKNOW : कॉलेज को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है, लेकिन अगर इस मंदिर की कमान जालसाजों के हाथ में आ जाए तो इसके अस्तित्व पर ही सवाल खड़े हो जाते हैं। कुछ ऐसा ही वाक्या हुआ मेंहदीगंज स्थित योगेश्वर ऋषिकुल इंटर कॉलेज में। जहां स्कूल के भंग मैनेजमेंट के मैनेजर व सचिव और पूर्व मैनेजर ने गुपचुप ढंग से नौ साल पहले कॉलेज की 11 बीघा जमीन प्राइवेट बिल्डर व एक व्यवसायी को बेच डाली। इसके लिये जालसाजों ने धोखाधड़ी कर फर्जी कागजात तक तैयार कर लिये। करोड़ों रुपये की इस डील के बाद जमीन पर प्राइवेट स्कूल व सेनेट्री गोदाम खड़ा कर दिया गया। मामले की भनक लगने पर डीआईओएस ने जांच की तो इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। जिसके बाद कॉलेज के प्रिंसिपल ने बाजारखाला कोतवाली में जालसाज मैनेजर, सचिव, प्राइवेट बिल्डर व सेनेट्री व्यवसायी के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचना समेत विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई है।

नौ साल पहले बेच डाली जमीन
मेंहदीगंज स्थित योगेश्वर ऋषिकुल इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल महेश कुमार द्वारा पुलिस को दी तहरीर में बताया कि कॉलेज में 23 बीघा जमीन पूर्व में थी। यह जमीन एलडीए ने कॉलेज के विस्तार व विकास के लिये योगेश्वर ऋषिकुल बाल विद्यापीठ को दी थी। लेकिन, पूर्व मैनेजर व कॉलेज संचालन समिति के सचिव सुब्रतो मजूमदार और मैनेजर राजीव बिसारिया ने इस जमीन में से 11 बीघा जमीन के फर्जी कागजात तैयार कर लिये। इसके बाद इन दोनों ने यह जमीन डी लोटस बिल्डर्स एंड कोलोनाइजर्स के मैनेजर्स व एक सेनेट्री व्यवसायी को 7 अगस्त 2009 को बेच डाली। जिसके बाद इस जमीन पर बहुमंजिला सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल व सेनेट्री व्यवसायी ने अपना टाइल्स गोदाम बना लिया। पर, उस वक्त शिक्षा विभाग को इसकी भनक न लग सकी।

खरीदने वाले भी धोखाधड़ी में शामिल
प्रिंसिपल महेश कुमार ने तहरीर में आगे बताया कि इस जमीन को सुब्रतो मजूमदार व राजीव बिसारिया ने निजी लाभ के लिये डी लोटस बिल्डर एंड कोलोनाइजर्स व सेनेट्री व्यवसायी को बेची है। हैरान करने वाली बात यह है कि जमीन खरीदने वाले दोनों पक्षों को यह पता था कि यह जमीन सरकारी है और इसे खरीदा या बेचा नहीं जा सकता। बावजूद इसके उन्होंने सुब्रतो मजूमदार व राजीव बिसारिया के साथ मिलीभगत कर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर यह जमीन खरीद ली।

मैनेजमेंट कंट्रोलर के हवाले
डीआईओएस डॉ। मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि कॉलेज के मैनेजमेंट द्वारा जमीन बेचने की सूचना पर जांच की गई थी। जांच में पता चला कि कॉलेज की 11 बीघा जमीन को फर्जी दस्तावेज तैयार कर बेच डाला गया है। बेची गई जमीन पर प्राइवेट स्कूल व सेनेट्री व्यवसायी ने अपना गोदाम बना लिया है। इस खुलासे के बाद कॉलेज मैनेजमेंट को भंग करते हुए वहां पर सीडीओ लखनऊ को कंट्रोलर बना दिया गया है।

राज्यपाल से हुआ था करार
शिक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक, योगेश्वर ऋषिकुल बाल विद्यापीठ को 23 बीघा जमीन कॉलेज के विकास व विस्तार के लिये दी गई थी। इसके लिये 12 जुलाई 1975 को समिति व राज्यपाल के बीच करार हुआ था। जिसमें स्पष्ट रूप से शर्त रखी गई थी कि इस जमीन को न तो बेचा जा सकेगा और न ही इसका किसी अन्य कार्य के लिये उपयोग किया जा सकेगा। पर, करोड़ों रुपये कीमत की इस जमीन पर मैनेजमेंट व समिति के पदाधिकारियों की नीयत खराब हो गई और उन्होंने इसके फर्जी दस्तावेज तैयार कर इसे प्राइवेट बिल्डर व सेनेट्री व्यवसायी को बेच डाला।

जांच में कॉलेज व समिति के पूर्व मैनेजर व सचिव और मैनेजर द्वारा कूटरचित दस्तावेज तैयार कर जमीन बेचने की पुष्टि हुई है। जिसके बाद बाजारखाला कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई गई है।

- डॉ। मुकेश कुमार सिंह, डीआईओएस