रांची: हर साल एक हजार से अधिक लोगों की मौत और 5000 से ज्यादा लोगों के घायल होने के बाद भी सिटी में वाहनों के रफ्तार पर लगाम नहीं लग पा रही है। परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस के सारे दावे फेल हो गए हैं और यमराज शहर की सड़कों पर जैसे जमकर बैठ गए हैं। हर दिन किसी न किसी एरिया में रोड एक्सिडेंट होने की खबर सामने आ रही है। मंगलवार की रात एक बार फिर रांची-पटना हाईवे एनएच 33 मौत का गवाह बना। अपोलो अस्पताल के नजदीक ही तेज रफ्तार ट्रक ने स्कूटी को धक्का मार दिया। हादसे में सोनिया कुमारी की मौके पर ही मौत हो गयी। कोयला लदे ट्रक ने इतनी बुरी तरह कुचला था कि उसे देखने पहुंची उसकी दोस्त लाश देख बेहोश हो गयी। आनन फानन में लोगों ने उसे अस्पताल पहुंचाया। मृत सोनिया धनबाद के जामाडोवा की रहने वाली थी। इस घटना से पूर्व सोमवार को भी रांची पुरुलिया हाईवे पर सड़क दुर्घटना में प्रकाश कुमार महतो की जान चली गई थी। वहीं 9 जून को एनएच 33 पर ही एक ही परिवार के तीन लोगों की सड़क हादसे में मौत हो गयी। मरने वालों में 10 माह की मासूम बच्ची भी शामिल रही।

स्पीड लिमिट कब होगा लागू

एक साल पहले अप्रैल 2018 में ट्रैफिक पुलिस ने सिटी की सड़कों पर दौड़ रहे वाहनों के स्पीड लिमिट होने और ट्रैफिक कंट्रोल के दावे किए थे लेकिन उसके ये सभी दावे फेल ही नजर आ रहे हैं। वाहनों के बेलगाम रफ्तार पर रोक न लगने से चालक मनमाना ड्राइविंग करने से बाज नहीं आ रहे हैं। राजधानी की सभी सड़कों पर चलने वाले वाहनों के लिए अधिकतम गति सीमा और स्पीड लिमिट तय करने की घोषणा काफी पहले की गई थी। लेकिन यह सिस्टम अब तक लागू ही नहीं हो पाया। ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि इसके लिए प्रपोजल सरकार को भेजा जा चुका है। लेकिन एक साल से सैकड़ों दुर्घटनाओं की गवाह बन चुकी राजधानी में हादसों को रोकने के लिए ट्रैफिक पुलिस कोई खास कदम नहीं उठा सकी है।

इंटरसेप्टर वाहन भी बेकार

अलग-अलग सड़कों पर ट्रैफिक लोड के हिसाब से स्पीड तय करने का प्रावधान है। स्पीड लिमिट को कोई वाहन यदि फॉलो नहीं करता है, तो उसे स्पीड गन के जरिये पकड़ लिया जायेगा। इसके बाद तुरंत कैमरे से जुड़ी मशीन एक मैसेज वाहन मालिक के मोबाइल पर भेजेगी जिसमें फाइन की राशि और भुगतान की तिथि अंकित होगी। इसी काम के लिए इंटरसेप्टर वाहन भी लगाए गए लेकिन करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी ये सारे इंतजाम बेकार ही होकर रह गए हैं।

कैमरे लगाने का काम पूरा नहीं

राजधानी में ट्रैफिक सिस्टम को सुगम बनाने और क्राइम कंट्रोल के लिए 170 जगहों पर 70 एएनपीआर और आरएलवीडी कैमरे लगाये जा रहे हैं। अभी तक 90 से अधिक जगहों पर कैमरे लगाये जा चुके हैं इस पर लाखों रुपये खर्च किए जा चुके हैं लेकिन नतीजा सिफर है।

गृह विभाग ने लिखा है पत्र

गृह विभाग ने अपर पुलिस महानिदेशक (अभियान) को पत्र लिखकर कहा है कि परिवहन विभाग ने रिपोर्ट दी है जिसमें कहा गया है कि ब्लैक स्पॉट्स के आंकड़े और विवरणी कई जिलों से नहीं भेजे जा रहे हैं। साथ ही स्पीड लिमिट को लेकर भी कार्रवाई में सुस्ती बरती जा रही है।

सही फॉर्मेट में नहीं भेजते डाटा

गृह सचिव के लेटर के अनुसार राज्य में जिलों से रोड एक्सीडेंट्स का डाटा सही फॉर्मेट में नहीं भेजा जा रहा है। जबकि राज्य से यह डाटा केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय को भेजा जाना है। ऐसे में रोड एक्सीडेंट से जुड़े डाटा भेजने के लिए जिलों के डीएसपी तथा रोड सेफ्टी सेल से जुड़े पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। सभी एसपी को जिलों में रोड सेफ्टी से जुड़े अंतर विभागीय अधिकारियों का वाट्सएप ग्रुप तैयार करना था। इसमें डीसी के अलावा एसपी, डीटीओ, सिविल सर्जन, नोडल डीएसपी, कार्यपालक अभियंता और पीआईयू मेंबर्स को शामिल किया जाना था। लेकिन कई जिलों में यह नहीं हो पाया है।

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हाल में घटीं दुर्घटनाएं

18 जून- रांची पुरुलिया हाइवे पर प्रकाश महतो की एक्सिडेंट में मौत।

9 जून - रांची पटना हाइवे पर अनकंट्रोल्ड ट्रेलर ने बाइक सवार तीन लोगों को कुचला। मृतकों में मेमीन शाजदा खातून (30 वर्ष), ऐनम परवीन (10 माह) व सुगनी परवीन (17 वर्ष ) शामिल।

6 जून- आलम नर्सिग होम के पास स्कार्पियो ने स्कूटी को टक्कर मारी, मो। यासीन (45) व उनकी दो बच्चियां घायल, यासीन की मौत।

20 अप्रैल- नामकुम रिंग रोड में सरवल के पास बोलेरो -ट्रक में टक्कर में सात लोगों की मौत हो गई।

23 अप्रैल 2019 - रांची -बुंडू सड़क पर हादसे में पति-पत्‍‌नी और भाभी तीनों की मौत।

09 मार्च- रांची-पटना हाईवे पर कार और ट्रक की टक्कर में 10 लोगों की मौत।