वाशिंगटन (पीटीआई)। सऊदी अरब एक रिपोर्ट तैयार कर रहा है जिसमें यह स्वीकार करने की संभावना है कि इस्तांबुल में अपने वाणिज्य दूतावास में पूछताछ के दौरान  पत्रकार जमाल खाशोग्गी की मौत हो गई। दरअसल, वैश्विक उत्पीड़न के बीच, सीएनएन ने सोमवार को बताया कि सऊदी एक रिपोर्ट तैयार कर रहा है, जिसमें वो स्वीकार करेगा कि पूछताछ के बाद अधिकारियों द्वारा टार्चर से खाशोग्गी की मौत हो गई। समाचार चैनल ने दो अज्ञात स्रोतों का हवाला देते हुए कहा कि पूछताछ का उद्देश्य पत्रकार को तुर्की से अपहरण करना था।

रिपोर्ट में बदल सकती है बात
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 'एक सूत्र का कहना है कि रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला जाएगा कि ऑपरेशन बिना मंजूरी और पारदर्शिता के किए गए थे और इसमें शामिल होने वाले लोगों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।' इसके अलावा उसने यह भी कहा कि चीजें बदल सकती हैं क्योंकि रिपोर्ट अभी भी तैयार की जा रही है। गौरतलब है कि 59 वर्षीय अनुभवी पत्रकार, जमाल खाशोग्गी 2 अक्टूबर को इस्तांबुल में सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में प्रवेश करने के बाद गायब हो गए थे। वे वहां अपने तलाक के दस्तावेजो को लेने के लिए गए थे। तुर्की सरकार ने कहा था कि पुलिस का मानना ​​है कि जमाल को दूतावास के अंदर ही मार दिया गया है। हालांकि, रियाद ने पुलिस के इस दावों आधारहीन बताकर खारिज कर दिया था। इस मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को कहा था कि अगर पत्रकार के मौत की पुष्टि हो जाती है और सऊदी अरब का हाथ इसमें होता है तो उसे कड़ी कार्रवाई के साथ दंड का सामना करना पड़ेगा।

मामले में चल रही है जांच
इसके साथ ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने भी रविवार को कहा कि वे इस मामले में 'विश्वसनीय जांच' की मांग कर रहे हैं। हालांकि, कई अरब देशों ने सऊदी अरब को अपना समर्थन दिया। ओमान, बहरीन, जॉर्डन, फिलिस्तीन, लेबनान, संयुक्त अरब अमीरात और मिस्र ने रविवार को कहा कि वे इस मामले में सऊदी अरब के साथ हैं। बता दें कि फिलहाल तुर्की के जांचकर्ता उन सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रहे हैं, जिस समय पत्रकार ने इस्तांबुल में सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में प्रवेश किया था।

अमेरिका में रहते थे खाशोग्गी
जमाल खाशोग्गी सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बड़े आलोचक थे और वे अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट में बतौर कॉंट्रिब्यूटर काम करते थे। बता दें कि जमाल, एक पूर्व सरकारी भी सलाहकार हैं और इन्होंने राजकुमार मोहम्मद की कुछ नीतियों और यमन में हुए युद्ध में रियाद के हस्तक्षेप की आलोचना की थी। वह अपने गिरफ्तारी से बचने के लिए पिछले साल सितंबर से अमेरिका में रह रहे थे।

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