-एसबीआई चौरीचौरा शाखा में गोल्ड लोन में करोड़ों का घोटाला, ऑडिट में हुआ खुलासा

-तीन आरोपितों पर बैंक ने दिया एफआईआर दर्ज कराने का आवेदन, क्लर्क सस्पेंड

-गोल्ड पर सीमा से अधिक दिया गया लोन, सोने के वजन और मूल्यांकन में किया भ्रष्टाचार

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चौरीचौरा शाखा का नाम भी जुड़ गया
satyendra.yadav@inext.co.in
GORAKHPUR: बैंक घोटाले की फेहरिस्त में स्टेट बैंक की चौरीचौरा शाखा का नाम भी जुड़ गया है। यहां गोल्ड लोन में बड़ा घोटाला सामने आया है। दो कर्मचारियों ने सर्राफा व्यापारी से मिलकर गारंटी के लिए आए गोल्ड के मूल्य से अधिक मूल्यांकन कर करोड़ों रुपए का घोटाला किया है। इंटरनल आडिट में शक होने पर अधिकारियों ने जब डाक्यूमेंट्स की जांच की तो घोटाले की परत दर परत खुलने लगी। घोटाले का मुख्य आरोपी खुलासे के बाद से ही फरार है। जबकि, बैंक के क्लर्क को सस्पेंड कर दिया गया है। करीब पांच किलो सोना पर करोड़ों का लोन बांटने का मामला है। जांच के दायरे में 150 लोगों को दिया गया लोन है। प्राथमिक जांच में घोटाले की राशि 1.80 करोड़ रुपए तक की है। नाम ने छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि जांच अभी चल रही है। इसलिए निश्चित तौर यह नहीं कहा जा सकता है घोटाला कितने का है और कितने लोन में किया गया है।

ऐसे हुअा घोटाला
सभी तरह के लोन में गोल्ड लोन सबसे आसानी से मिलने वाला लोन है। कारण कि इसमें बैंक के नुकसान की संभावना बेहद कम होती है। लोन लेने वाला अपना सोना लेकर बैंक जाता है, जहां फॉर्म भरने के बाद सोने की मूल्य का 75 से 80 फीसदी लोन दे दिया जाता है। चौरीचौरा बैंक से जो संदिग्ध लोन जारी किए गए हैं उनमें गोल्ड के वेट को ज्यादा बताकर और 22 कैरेट के गोल्ड को 24 करैट के रेट से वैल्यूएट कर लोन दे दिए गए हैं। ऐसा एक-दो बार नहीं, बल्कि सैकड़ों बार किया गया। इससे बैंक को करोड़ों की चपत लगने की संभ्ावना है।

फ्राड का तरीका-1
गोल्ड लोन में दो तरीके से फ्राड किया गया है। पहला गोल्ड का वैल्यूएशन ज्यादा दिखाकर। इसके तहत जिन एप्लीकेंट ने एक लाख रुपए मूल्य के गोल्ड जमा किए थे उन्हें इतने या इससे अधिक रुपए लोन के तौर पर दे दिए गए। नियमानुसार गोल्ड के वैल्यूएशन के 75 से 80 प्रतिशत अमाउंट को ही लोन के तौर पर दिया जाता है। लेकिन बैंक के कर्मचारी ने सर्राफा कारोबारी से मिलकर गोल्ड को ज्यादा वैल्यूएट कर ज्यादा लोन बंटवा दिया।

फ्राड का तरीका-2
गोल्ड लोन में दूसरे तरीके से इस तरह फ्राड किया गया कि 22 करैट के सोने का वैल्यूएशन 24 करैट की रेट पर कर दिया गया। इससे गोल्ड की वैल्यू बढ़ गई और परिणाम स्वरूप लोन की सीमा गोल्ड के वैल्यू से ज्यादा हो गई। इसके अलावा इस तरह की घटनाओं के बारे में भी जानकारी हुई कि गोल्ड के एक्चुअल वेट को छिपाकर उसे अधिक वेट बताया गया और उसी बढ़ाए गए वेट के आधार पर लोन की रकम जारी कर दी गई।

तीन पर दर्ज होगी एफआईआर
गोल्ड लोन के इस फ्राड में प्रथम दृष्टया दोषी पाते हुए एक क्लर्क को सस्पेंड कर दिया गया है। इसके अलावा मुख्य आरोपी बैंक एजेंट फरार है। चौरीचौरा एसबीआई बैंक के मैनेजर धर्मेन्द्र सिंह ने इस घोटाले का दोषी पाते हुए बैंक क्लर्क, बैंक एजेंट व संबंधित व्यापारी पर एफआईआर दर्ज कराने के लिए एसएसपी को एप्लीकेशन दिया है।

लखनऊ से आई टीम
इंटरनल आडिट में जब ऑडिटर को शक हुआ कि गोल्ड लोन में घोटाला हुआ है तो स्पेशल आडिटर को बुलाकर कागजात की जांच कराई गई, जिसके बाद परत दर परत सच्चाई सामने आने लगी। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, जब बैंक अधिकारियों को अंदेशा हुआ कि घोटाला बहुत बड़ा है तो जांच के लिए लखनऊ से स्पेशल टीम आई। साथ ही अधिकारियों ने गारंटी के तौर पर रखे गए सभी गोल्ड का फिर से वेट कराया।

कुछ भी बोलने से बच रहे अधिकारी
बैंक में घोटाले की सूचना मिलने के बाद अफसर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। इस बारे में जब चीफ मैनेजर नित्यानन्द शर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मैं बैंक का प्रवक्ता नहीं हूं। इस बारे में कुछ नहीं बता सकता। जब उनसे पूछा गया कि क्लर्क को क्यों सस्पेंड किया गया है, तो वह बात को टाल गए। लेकिन बैंक को कितने का नुकसान हुआ है? यह पूछने पर बताया कि अभी जांच की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। एसबीआई बैंक के डीजीएम एम साद हुसैनी से पूछा गया कि इस घोटाले में बैंक को कितने का नुकसान हुआ तो वह बाद में बात करने की बात कह टाल गए। लेकिन बाद में 4 बार फोन करने के बाद भी उनका फोन नहीं उठा।