- हरिओम ने लांगेस्ट मैराथन ड्राइंग कैरीकेचर में बनाया रिकॉर्ड, गिनिज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकॉर्ड में नाम होगा दर्ज

-कनाडा के रोनाल्ड बना चुके हैं लगातार 61 घंटे 55 मिनट तक स्केच

-रिकार्ड तोड़ने के बाद भी जारी है हरिओम का स्केच बनाना

मेहनत, लगनशीलता और मन में कुछ अलग करने का जज्बा हो तो कठिन से कठिन काम भी आसान हो जाता है। यह साबित कर दिखाया है गाजीपुर, देवकली गांव निवासी किसान के बेटे हरिओम सिंह ने। काशी की धरती पर लगातार 62 घंटे स्केच बना कर हरिओम ने शनिवार की सुबह सात बजे एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकॉर्ड में जवाहर नवोदय विद्यालय, गाजीपुर में कक्षा 12वीं के छात्र हरिओम का नाम अब दर्ज होगा। अब तक गिनीज बुक में 61 घंटे 55 मिनट तक लगातार कैरीकेचर बनाने का रिकॉर्ड कनाडा के रोनाल्ड फ्रांसिस हैबरलिंग के नाम दर्ज है। रोनाल्ड का रिकार्ड तोड़ने के बावजूद हरिओम कैरीकेचर बनाने में जुटे हुए हैं ताकि उनका रिकार्ड तोड़ना आसान न हो।

हर-हर महादेव का उद्घोष

राजकीय क्वींस कॉलेज में हरिओम ने आठ नवंबर को शाम पांच बजे से लांगेस्ट मैराथन ड्राइंग कैरीकेचर बनाना शुरू किया था। उन्हें रोनाल्ड फ्रांसिस हैबरलिंग का रिकॉर्ड तोड़ने के लिए 11 नवंबर को सुबह छह बजकर 56 मिनट तक कैरीकेचर बनाना था। इस क्रम में शनिवार की सुबह जैसे ही घड़ी की सुई छह बजकर 56 मिनट पर पहुंची लहुराबीर स्थित क्वींस इंटर कॉलेज का सभागार तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठा। लोग ढोल-नगाड़े की थाप पर झूम उठे। हर-हर महादेव के उद्घोष से पूरा हॉल गूंज उठा। वहीं हरिओम शांत भाव में स्केच बनाने में जुटे रहे। बीच-बीच हरिओम के पिता रमेश सिंह की आंखें भर आई।

खूब चला मिठाईयों का दौर

हरिओम की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर हर कोई गदगद है। हरिओम के माता-पिता, नवोदय विद्यालय के प्रिंसिपल मुख्तार आलम, ड्राइंग की शिक्षिका मधुलिका कुशवाहा, क्वींस कॉलेज के पि्रंसिपल डॉ। राजेश कुमार सिंह यादव सहित अन्य शुभ चिंतकों ने एक दूसरे को शुभकामनाएं व बधाई दी। मिठाई खिलाकर लोगों का मुंह मीठा कराया।

रेस्ट में भी कटौती

गिनीज बुक के नियमानुसार एक घंटे में पांच मिनट का ब्रेक लिया जा सकता है। वहीं उन्होंने 62 घंटे में सिर्फ 168 मिनट ही ब्रेक लिया। इस प्रकार नया रिकार्ड बना लेने के बावजूद उनके पास रेस्ट करने के लिए 41 मिनट 20 सेकेंड बचा हुआ था।

रिकॉर्डिग से देंगे साक्ष्य

कैरीकैचर बनाने के साक्ष्य के तौर पर रिकॉर्डिग के लिए हॉल में दो-दो सीसी कैमरा लगाए गए हैं। इसके अलावा वीडियो रिकॉर्डिग भी कराई जा रहीं है। रिकार्डिग की सीडी बतौर साक्ष्य गिनीज बुक को भेजी जाएगी। ताकि हरिओम का नाम रिकॉर्ड में दर्ज हो सके। हालांकि गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने में चार से छह माह का समय लग जाता है।