एक्सक्लूसिव

- डस्टबिन लगाए जाने के नाम पर बजट को लगाया ठिकाने

- स्वच्छता सर्वेक्षण ग्रामीण के तहत लगाए जाने थे डस्टबिन

आगरा। स्वच्छता सर्वेक्षण ग्रामीण में नम्बर पाने के लिए एक करोड़ 73 लाख 75 हजार रुपये ठिकाने लगा दिए। इस बजट से ग्राम पंचायतों में डस्टबिन लगाए गए हैं। संसाधन के अभाव में इन डस्टबिनों का कोई उपयोग नहीं हो रहा है। इसके साथ ही कई ग्राम पंचायतों में डस्टबिन ही नहीं लगाए गए हैं।

सर्वेक्षण में मिलने थे नम्बर

स्वच्छता सर्वेक्षण ग्रामीण का अभियान एक से 31 अगस्त तक चला था। इसके तहत टीम को सर्वे करना था। इसमें सफाई से लेकर अन्य कार्यो के लिए नम्बर मिलने थे। उसी की चाहत में प्रत्येक ग्राम पंचायत में विभाग ने पांच पांच डस्टबिन लगाए जाने के निर्देश जारी कर दिए। एक डस्टबिन की कीमत पांच हजार रुपये रखी गई। ग्राम पंचायत को ही एक कंपनी से खरीदने थे। लेकिन अधिकांश ग्राम पंचायतों में डस्टबिन लगाए ही नहीं गए हैं। कुछ ग्राम पंचायतों को छोड़ दिया जाए, तो अधिकांश ग्राम पंचायतों में कागजों में ही डस्टबिन नहीं लगाए गए हैं।

इन स्थानों पर लगने थे डस्टबिन

प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्र और पंचायत घरों के आस पास लगाए जाने थे। लेकिन अधिकांश स्थानों पर डस्टबिन नहीं लगाए गए हैं।

ग्राम पंचायत

695

प्रत्येक में लगने थे डस्टबिन

पांच

कुल डस्टबिन लगने थे

प्रत्येक की कीमत

5000

ग्राम पंचायतों में नहीं हैं संसाधन

बेशक ग्राम पंचायतों में डस्टबिन लगा भी दिए जाएं तो बेकार ही हैं। वो इसलिए कि किसी भी ग्राम पंचायत के पास संसाधन ही नहीं हैं। कूड़े को बगैर संसाधन के कहां पर डाला जाएगा। पंचायतों के पास कोई वाहन नहीं हैं। डस्टबिनों में आने वाले कूडे़ को कहां डाला जाएगा। इसके लिए कोई स्थान भी तो होना चाहिए। अगर स्थान है भी तो वहां तक कूडे़ को पहुंचाया कैसे जाएगा।

खाद के गढ्ढे नहीं बचे हैं

ग्राम पंचायतों में खाद के गढ्ढों से लेकर ग्राम सभा की जमीनों पर लोगों के कब्जे हैं। कहीं पर कूड़ा डाले जाने के लिए कोई जगह ही नहीं है। अभी तक जो व्यवस्था है, उसके मुताबिक गांव के कूडे़ को तालाब व पोखरों में ही डाला जा रहा है। जिसके कारण तालाब और पोखरों का अस्तित्व ही खतरे में है।

डस्टबिन लगाए जाने से पहले संसाधन की होती व्यवस्था

ग्राम पंचायतों में डस्टबिन लगाए जाने से पहले संसाधनों की ओर ध्यान देना चाहिए था। इसके साथ ही प्रत्येक ग्राम पंचायत में कूड़ा एकत्रित करने के लिए जगह का चिन्हांकन करना चाहिए था। बगैर इन सभी व्यवस्थाओं के बजट को ठिकाने लगाए जाने के ही प्रयास हैं।