PATNA : गरीबों को शिक्षा देने के नाम पर पटना के प्राइवेट स्कूल अमीर हो रहे हैं। शिक्षा के अधिकार कानून के तहत 25 प्रतिशत गरीब बच्चों का एडमिशन उनके लिए घोटाले का जरिया बन गया है। तीन साल के आंकड़ों पर गौर करें तो पटना के निजी स्कूलों ने सरकार से 10 करोड़ से अधिक रुपए लेकर एडमिशन में खेल कर दिया है। विभाग भी इस बड़े खेल पर पर्दा डाल रहा है जिससे जिम्मेदारों की भूमिका सवालों के घेरे में है। अगर इसकी जांच कराई जाए तो गरीबों की शिक्षा के नाम पर चल रहा खेल एजुकेशन सिस्टम की हकीकत उजागर कर देगा। इस मामले में सीएम और शिक्षा मंत्री से जांच की मांग भी की गई है।

ऐसे हुआ खुलासा

सूचना अधिकार अधिनियम के तहत आरटीआई एक्टिविस्ट अजीत कुमार सिंह ने शिक्षा विभाग से राइट टू एजुकेशन के तहत निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत गरीब बच्चों के एडमिशन को लेकर 4 प्रमुख ंिबंदुओं पर सूचना मांगी थी। इसमें तीन साल का लेखा जोखा शामिल था। किन-किन स्कूलों ने दाखिला लिया और किन स्कूलों ने एडमिशन ही नहीं लिया। इसके साथ ही सरकार की तरफ से कितनी धनराशि दी गई और उक्त अधिनियम के उलंघन में कितने स्कूल दोषी पाए गए इसकी भी जानकारी मांगी गई थी। आवेदक ने घोटाले का पूरा खेल उजागर करने के लिए शिक्षा विभाग से जिलावार सूची की डिमांड की थी।

जवाब ने खड़ा किया सवाल

प्राथमिक शिक्षा विभाग के लोक सूचना पदाधिकारी विनय कुमार द्वारा दी गई जानकारी में कई ऐसे बिंदुओं को गोल कर दिया गया है जिससे घोटाला उजागर न हो। आवेदक अजीत कुमार सिंह ने आरोप लगाया है कि जवाब देने में प्राथमिक शिक्षा विभाग ने बड़ा खेल किया है। अगर विभाग पूरी जानकारी दे दे तो प्रदेश में राइट टू एजुकेशन के तहत गरीब बच्चों की शिक्षा के नाम पर निजी स्कूलों में चल रहा घोटाला खुद ब खुद उजागर हो जाएगा। इसे दबाने के लिए विभाग ने सिर्फ जिलावार तीन साल में रजिस्टर्ड स्टूडेंट की संख्या और सरकार द्वारा दी गई धनराशि की ही डिटेल दी गई है।


ऐसे हो रहा है खेल

अजीत कुमार सिंह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को पत्र भेजकर शिक्षा के नाम पर निजी स्कूलों में चल रहे खेल की जांच कराने की मांग की है। आरोप है कि स्कूलों में राइट टू एजुकेशन के तहत 25 फीसदी गरीब बच्चों के एडमिशन का दावा होता है लेकिन सरकारी धन का गोलमाल करने के लिए स्कूल बच्चों की फर्जी सूची सरकार विभाग को दे देते हैं। आरोप तो यह भी है कि ऐसे बच्चों से स्कूल एक तरफ फीस लेता ही है दूसरी तरफ सरकार से भी उन्हीं बच्चों की सूची देकर बड़ी रकम ले लेते हैं। अगर प्रदेश के स्कूलों की निष्पक्ष जांच करा ली जाए तो बड़ा खुलासा होगा।

 

स्कूल के खेल में गरीब फेल

स्कूलों के खेल में गरीब फेल हो रहे हैं। सरकार की समान शिक्षा की मंशा ध्वस्त हो रही है। पटना के आर कुमार का कहना है कि बच्चे को 25 प्रतिशत कोटा के तहत एडमिशन के लिए काफी परेशान हुआ। स्कूल ने खूब दौड़ाया लेकिन एडमिशन नहीं किया। ऐसे ही अन्य कई गरीब गार्जियन भी स्कूलों में दौड़कर हार मान गए लेकिन स्कूलों ने एडमिशन नहीं लिया। पटना में 18 सौ से अधिक निजी स्कूल हैं। जिसमें 400 सीबीएससी और आईसीएसस से एफलिएटेड हैं। इसके बाद भी सरकार की मंशा यहां दम तोड़ रही है जिससे गरीबों के बच्चों को समान शिक्षा से वंचित होना पड़ रहा है।