पटना में 90 फीसदी से अधिक स्कूल बसों में सुरक्षा के मानकों का नहीं होता है पालन

PATNA : यदि आप सोचते हैं कि आपका लाडला स्कूल बस में सुरक्षित आता-जाता है तो यह आपकी भूल है। पटना में 90 फीसदी से अधिक स्कूल बसों में सरकार द्वारा तय सुरक्षा के मानकों को पूरा नहीं किया गया है। पटना में लगभग 2500 स्कूल बस हैं। इनमें से मुश्किल से 100 बस ही होंगी जिनमें नियमों का पालन किया जाता है। फिटनेस की जांच के समय बस संचालकों द्वारा औपचारिकताएं तो पूरी की जाती हैं लेकिन प्रमाण पत्र मिलते ही सभी नियम हवा में गुम हो जाते हैं। स्कूल बसों की रियलिटी चेक करने के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम शहर के 3 बड़े स्कूलों में गई। यहां बसों को चेक किया गया तो एक भी ऐसी बस नहीं मिली जिसमें जीपीएस, स्पीड गर्वनर लगाया गया हो। हर बस में फ‌र्स्ट एड बॉक्स होना जरूरी है लेकिन किसी में भी यह नहीं दिखा। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की स्पेशल स्टोरी में पढि़ए स्कूली बसों का सच।

क्या है नियम

वर्ष 1997 में दिल्ली में हुए बस हादसे के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइन जारी की थी कि स्कूल बस को चलाने वाले ड्राइवर का अनुभव कम से कम 5 वर्ष का हो। स्पीड गवर्नर हो। बस में फ‌र्स्ट ऐड बॉक्स और खिड़कियों पर ग्रिल लगाना अनिवार्य किया था और बस का रंग पीला हो।

अवमानना का है केस

पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील मणि भूषण प्रसाद सेंगर की माने तो नियम का पालन नहीं करने वाले स्कूल और बस संचालकों के खिलाफ कोर्ट की अवमानना के केस दर्ज हो सकता है।

कार्मेल हाईस्कूल

रियलिटी चेक करने के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम सबसे पहले बेली रोड स्थित कार्मेल हाईस्कूल पहुंची। बच्चों के इंतजार में खड़ी बस बीपीके 8384 के कंडक्टर ने बताया कि अभी जीपीएस नहीं लगा है। स्पीड गवर्नर भी खराब है। रिपोर्टर द्वारा फ‌र्स्ट एड बॉक्स दिखाने के लिए कहा तो ड्राइवर ने मना कर दिया। खिड़की से साफ दिख रहा था बस में फ‌र्स्ट एड बॉक्स की कोई व्यवस्था नहीं है।

डीएवी ट्रांसपोर्ट नगर

डीएवी ट्रांसपोर्ट नगर की बस के पास जब हमारी टीम पहुंची तो वहां कई स्कूल बस खड़ी थीं। कंडक्टर से पूछने पर बताया कि नियम तो बहुत हैं। सभी नियम का पालन करने लगें तो बस चलाना ही बंद करना पड़ेगा। स्पीड गवर्नर लगा है। जीपीएस बाद में लगेगा। गाड़ी की हाल ही में पेंटिंग कराई गई है। जल्द नाम लिख दिया जाएगा।

नोट्रो डेम

इसके बाद हमारी टीम नोट्रो डेम के स्कूल बसों का मुआयना करने कंकड़बाग पहुंची। वहां खड़ी स्कूल बसों के मैनेजर सोनू ने बताया कि जीपीएस लगाना अनिवार्य नहीं है। बसों में स्पीड गवर्नर लगा हुआ है। बसों का मुआयना करने पर किसी भी बस में फ‌र्स्ट एड बॉक्स नहीं दिखा।

जीपीएस और स्पीड गवर्नर के बिना फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं दिया जाता है। अगर नियमों को तोड़कर स्कूल बस चल रही है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

संजय अग्रवाल, परिवहन सचिव

स्कूल में इस तरह की लापरवाही बर्दास्त नहीं की जाएगी। जिस स्कूल में लापरवाही मिली है उन्हें नोटिस जारी किया जाएगा। इसके साथ ही उनका परमिट निरस्त किया जाएगा।

अजय कुमार पांडे, एसपी ट्रैफिक

डीएवी ट्रांसपोर्ट नगर स्कूल में बस मेरी कंपनी की है। हम नियम के मुताबिक चलते हैं। सभी बसों में फ‌र्स्ट एड बॉक्स को जल्द ही लगा लिया जाएगा।

प्रेम कुमार, ऑनर साई ट्रेवल्स