-ओनर्स ने स्कूल संचालन में दिक्कत का सुनाया दुखड़ा

-बताया 18 हजार से अधिक स्टूडेंट्स पर 20 करोड़ फीस बकाया

BAREILLY:

उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय शुल्क निर्धारण विधेयक के चलते स्कूल ओनर्स ने विद्यालय चलाने में दिक्कत होने की बात कही है। संडे को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन ने कहा कि अध्यादेश लागू होते ही पेरेंट्स ने फीस जमा करना बंद कर दिया। नतीजा यह है कि 18,000 से अधिक स्टूडेंट्स पर स्कूलों के 20 करोड़ रुपए बकाया हैं। उनका कहना है कि पेरेंट्स फीस जमा कर दें। कानून के मुताबिक फीस से जितना भी रुपया ज्यादा होगा, उसे वापस कर दिया जाएगा।

स्कूल पर पेरेंट्स करें विश्वास

एसोसिएशन के चेयरमेन पारूष अरोरा ने कहा कि मान लीजिए 2015 में 11वीं की फीस 25 हजार रुपए थी। आज वह 32 हजार रुपए है, तो अध्यादेश के हिसाब से 30 हजार फीस होती है। स्कूलों ने अपना पक्ष डिस्ट्रिक्ट कमेटी के समक्ष रखेंगे। यदि वहां से उनका तर्क खारिज होता है, तो स्टेट कमेटी के समक्ष अपनी बात रखेंगे। यदि वहां से भी उनकी बात खारिज हो जाती है, तो सभी स्टूडेंट का जितना रुपया अधिक होगा, उसे वापस कर दिया जाएगा। पेरेंट्स को स्कूल पर विश्वास करना होगा। इससे पहले यह कहकर कि फीस कम हो जाएगी, तब जमा करेंगे। इससे स्कूलों का संचालन करना कठिन हो रहा है।

अभिभावकों पर स्कूल कार्रवाई करेंगे तो होगा विरोध

इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन की ओर से प्रेस कांफ्रेंस के बाद पेरेंट्स फोरम ने भी प्रतिक्रिया जताई है। एडवोकेट मुहम्मद खालिद जीलानी का कहना है कि पेरेंट्स को समय पर फीस जमा करनी चाहिए लेकिन फीस अध्यादेश आने के बाद कुछ अभिभावक इस इंतजार में समय से फीस जमा नहीं कर पाए कि कुछ सहूलियत मिले। साथ ही उन्होंने कहा कि यदि स्कूल फीस को लेकर अभिभावकों पर स्कूल कार्रवाई करते है तो कड़ा विरोध किया जाएगा।