- आईसीएसई को ज्यादातर स्टूडेंट्स ने चेंज करते है बोर्ड

- सीबीएसई बोर्ड के रिजल्ट के इंतजार में बैठे हाईस्कूल के स्टूडेंट्स का हो सकता है नुकसान

LUCKNOW :

सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन ( सीबीएसई) के स्टूडेंट्स को 11वीं क्लास में अपने मनचाहे सब्जेक्ट और स्ट्रीम के लिए मशक्कत करनी होगी। स्टूडेंट्स के हाईस्कूल बोर्ड एग्जाम के मा‌र्क्स के आधार पर राजधानी के ज्यादातर स्कूल स्टूडेंट्स के 11वीं में किस स्ट्रीम में एडमिशन लेंगे तय करते हैं। पर अभी तक सीबीएसई बोर्ड के हाईस्कूल का रिजल्ट नहीं आया है। वहीं आईसीएसई का रिजल्ट आ चुका है। आईसीएसई के स्टूडेंट्स आगे की तैयारी के लिए सीबीएसई की ओर रुख करते हैं। ऐसे में आईसीएसई के स्टूडेंट्स सीबीएसई में साइंस स्ट्रीम को पहले प्राथमिकता देते है।

सीबीएसई से पहले आता है आईसीएसई का रिजल्ट

आईसीएसई 10वीं का एग्जाम पास करने वाले ज्यादातर स्टूडेंट्स 11वीं की पढ़ाई करने के लिए बोर्ड बदलते हैं। शहर के निजी स्कूल अपने यहां सीबीएसई बोर्ड के स्टूडेंट्स के बजाए आईसीएसई स्कूलों से आने वाले स्टूडेंट्स को प्राथमिकता देते हैं। आईसीएसई के स्टूडेंट्स का बोर्ड प्रतिशत भी सीबीएसई से अधिक होता है। इसलिए निजी स्कूलों में स्ट्रीम के लिए 10वीं बोर्ड के आधार मा‌र्क्स की जो मेरिट बनती है उसमें आईसीएसई के स्टूडेंट्स बाजी मार लेते हैं। इस संबंध में स्कूल प्रबंधक का कहना है कि स्टूडेंट्स के मा‌र्क्स के मुताबिक उन्हें प्राथमिकता दी जाती है। हालांकि आईसीएसई बोर्ड परीक्षा के सीबीएसई बोर्ड से पहले आ जाता है। इसलिए आईसीएसई के स्टूडेंट्स पहले आकर स्कूलों में अपने पसंद के मुताबिक स्ट्रीम में एडमिशन ले लेते हैं।

आईआईटी के लिए सीबीएसई पहली पसंद

देश के टॉप आईआईटी और इंजीनियरिंग संस्थाओं में एडमिशन के लिए सीबीएसई बोर्ड के पैर्टन को परफैक्ट माना जाता है। जेईई मेंस और एडवांस में 11 और 12 के सीबीएसई पैटर्न को पूरी तरह से फालो किया जाता है। ऐसे में जेईई में सफलता पाने के लिए आईसीएसई के स्टूडेंट्स अपना स्कूल चेंज करते हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा डिमांड साइंस में पीसीएम स्ट्रीम की होती है। ऐसे में रिजल्ट पहले आने का फायदा आईसीएसई स्टूडेंट्स को होता है।

इस साल होगी ज्यादा दिक्कत

बीते पांच-छह सालों से सीबीएसई हाईस्कूल में ग्रेडिंग सिस्टम को फालो करता था। स्टूडेंट्स की पूरी ग्रेडिंग 10 सीजीपीए पर करता था। पर इस बार सीबीएसई एक फिर से हाईस्कूल में ग्रेडिंग के स्थान पर परसेंटेज देना शुरू किया है। ऐसे में जो स्टूडेंट्स अपने ही स्कूल से 11वीं में साइंस स्ट्रीम से पढ़ाई करना चाह रहे हैं। अगर उनके मा‌र्क्स हाईस्कूल में कम हुए तो उनको स्ट्रीम में एडमिशन मिलना काफी मुश्किल हो जाएगी।

कट ऑफ पर एडमिशन

राजधानी के निजी स्कूलों में 11वीं में एडमिशन के लिए कट ऑफ का निर्धारण कर दिया गया है। औसतन कट ऑफ की बात करें तो साइंस स्ट्रीम में एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स को 85 प्रतिशत से अधिक मा‌र्क्स पर एडमिशन मिलेगा। वहीं कामर्स के लिए 70 प्रतिशत से अधिक मा‌र्क्स पर एडमिशन का मानक तय है। ऐसे में सीबीएसई के स्टूडेंट्स का अगर औसत प्रतिश 85 से कम हुआ तो सैकड़ो स्टूडेंट्स को साइंस स्ट्रीम में एडमिशन लेने मुश्किल हो जाएगा।

ज्यादातर स्कूलों में 11वीं के एडमिशन सबसे पहले अपने ही स्कूलों के स्टूडेंट्स को दिए जाते हैं। पर कुछ बड़े स्कूलों में मेरिट के आधार पर स्ट्रीम तय करते हैं।

डॉ। जावेद आलम, सीबीएसई कोऑर्डिनेटर